नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्य सरकारों को बुल्डोजर एक्शन पर सख्त चेतावनी दी है और साफ तौर पर कहा है कि किसी भी आरोपी का घर नहीं गिराया जा सकता, भले ही वह दोषी सिद्ध हो। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह प्रथा पूरी तरह से अनुचित है और इसके खिलाफ दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि घर गिराना न केवल कानूनी दृष्टि से गलत है, बल्कि यह व्यक्तिगत और सामाजिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। अदालत के अनुसार, किसी व्यक्ति के घर को बिना कानूनी प्रक्रिया और उचित जांच के नष्ट करना मानवाधिकारों का उल्लंघन है और यह कानून की भावना के खिलाफ है।
#सुप्रीम_तमाचा किसी का भी घर गिराना गलत
— Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش (@DrRakeshPathak7) September 2, 2024
सर्वोच्च न्यायालय ने आज बुल्डोजर एक्शन पर राज्य सरकारों को। फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी आरोपी का घर नहीं गिराया जा सकता...यहां तक कि दोषी सिद्ध होने पर भी किसी का घर नहीं गिराया जा सकता।
कोर्ट इस बाबत दिशा निर्देश… pic.twitter.com/2CWSGW2RG7
पूर्व संपादक डॉ. राकेश पाठक, जिन्होंने नवभारत, नईदुनिया, नवप्रभात, प्रदेश टुडे और DNN चैनल जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "हमारा सवाल यह है कि जिन सरकारों और अधिकारियों ने अब तक बुल्डोजर के माध्यम से घर गिराए हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?"
डॉ. पाठक ने यह भी जोड़ा कि इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सरकारों और अधिकारियों को अपने कार्यों की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और किसी भी प्रकार की अनुचित कार्रवाई के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने में सहायक होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से निश्चित रूप से सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर एक नई बहस शुरू होगी, और यह देखने योग्य होगा कि अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन किस हद तक होता है। साथ ही, इससे जुड़े मामलों में प्रभावित व्यक्तियों को न्याय मिलने की उम्मीद भी बढ़ गई है।