‘टेलीग्राम पर कार्रवाई भारत के लिए वरदान है, यह ऐप आतंकवादियों के लिए पनाहगाह था: स्वस्ति राव

पेरिस, 24 अगस्त – रूसी अरबपति और टेलीग्राम मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक पावेल ड्यूरोव को पेरिस में 24 अगस्त को उनके निजी विमान से एरान से पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी चार दिनों की लंबी पूछताछ के बाद रिहाई कर दी गई, लेकिन इस गिरफ्तारी ने फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और रूस के बीच कूटनीतिक विवाद को जन्म दिया है। 

ड्यूरोव की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सरकार के कथित हमले को लेकर आलोचना की लहर पैदा कर दी। एलन मस्क और एडवर्ड स्नोडन जैसी हस्तियों ने फ्रांस की इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आलोचकों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की। 

पावेल ड्यूरोव, एक रूसी नागरिक हैं, लेकिन उनके पास फ्रांस, यूएई और कुछ कैरेबियाई द्वीपों की भी नागरिकता है। वह दुनिया के सबसे प्रमुख मैसेजिंग ऐप्स में से एक, टेलीग्राम के सीईओ और सह-संस्थापक हैं। टेलीग्राम को 2013 में पावेल ने अपने छोटे भाई निकोलाई के साथ मिलकर शुरू किया था। यह ऐप अपने यूज़र्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा के लिए जाना जाता है। हालांकि, नवंबर 2023 से फ्रांसीसी अधिकारियों की नज़रें इस ऐप पर थीं, और 2022 में जर्मन अधिकारियों ने इसे जर्मन कानून का उल्लंघन करने के लिए 5 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया था।

पावेल ड्यूरोव की जीवनशैली हमेशा से चर्चा का विषय रही है। एक ओर जहां वह अत्यधिक सख्त व्यक्तिगत और आहार संबंधी नियमों का पालन करते हैं, वहीं उन्होंने यह दावा भी किया है कि शुक्राणु दान के माध्यम से उन्होंने 100 से अधिक बच्चों को जन्म दिया है। लेकिन उनकी इस असामान्य छवि के विपरीत, फ्रांसीसी पुलिस ने उन पर एक बच्चे से बलात्कार का गंभीर आरोप लगाया है।

40 वर्ष की उम्र के करीब पहुंच रहे ड्यूरोव को न केवल यौन अपराध के आरोपों का सामना करना पड़ा, बल्कि टेलीग्राम पर वित्तीय अपराधों और मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित डेटा साझा करने से इनकार करने के आरोप भी लगाए गए। फ्रांसीसी अधिकारियों ने उनके खिलाफ छह आरोप दायर किए हैं, जिनमें अवैध गतिविधियों का संचालन और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध शामिल हैं।

फ्रांस ने यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) के तहत कार्रवाई की, जो 2022 में लागू हुआ था। इस कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के मालिकों को आपराधिक मामलों में सहयोग करना अनिवार्य है। ड्यूरोव को 5 मिलियन यूरो की जमानत पर रिहा किया गया है, लेकिन उन्हें फ्रांस छोड़ने की अनुमति नहीं है और उन्हें सप्ताह में दो बार पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

इस घटनाक्रम का एक अन्य दिलचस्प पहलू यह है कि ड्यूरोव की गिरफ्तारी और टेलीग्राम पर हो रही कार्रवाई को भारत के लिए एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (IDSA) में यूरोप एवं यूरेशिया सेंटर की एसोसिएट फेलो स्वस्ति राव का कहना है, "टेलीग्राम पर कार्रवाई भारत के लिए वरदान है, क्योंकि यह ऐप आतंकवादी संगठनों के लिए पनाहगाह बन गया था।"

विशेष रूप से 2024 के बाद से, टेलीग्राम पर आतंकवादी समूहों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का प्रभाव बढ़ गया था। यह ऐप ग्राफिक वीडियो और आतंकवादी हमलों से संबंधित सामग्री साझा करने का प्रमुख मंच बन गया था। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी 2023 में टेलीग्राम को बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री हटाने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया था।

ड्यूरोव की गिरफ्तारी ने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक विवादों को बढ़ावा दिया है, बल्कि टेलीग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों की भूमिका और उनके नियमन पर भी सवाल खड़े किए हैं। डिजिटल युग में डेटा की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो गई है। 

ड्यूरोव के मामले ने यह भी दिखाया है कि कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून-व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

Rangin Duniya

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