गृध्रसी, जिसे साइटिका भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक पैर के पंजे से लेकर कमर तक तेज दर्द होता है। यह दर्द आमतौर पर एक ही पैर में महसूस होता है और इतना तीव्र होता है कि रोगी को नींद भी नहीं आती। इस समस्या का सामना करने वाले लोगों के लिए आयुर्वेद में एक चमत्कारी इलाज उपलब्ध है, जो हारसिंगार के पत्तों से किया जा सकता है।
लक्षण
गृध्रसी के प्रमुख लक्षणों में एक पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द शामिल है। यह दर्द लगातार बना रहता है, जिससे व्यक्ति को सामान्य गतिविधियां करने में कठिनाई होती है। कई बार, यह दर्द इतना भयंकर होता है कि व्यक्ति रात में सो नहीं पाता।
उपचार विधि
इस समस्या के समाधान के लिए, हारसिंगार (पारिजात) के 10-15 कोमल पत्ते एकत्रित करें। पत्ते कटे-फटे न हों, इसे ध्यान में रखें। पत्तों को धोकर मिक्सी में थोड़ा सा कूट लें, लेकिन बहुत बारीक नहीं करना है। फिर, लगभग 200-300 ग्राम (2 कप) पानी में धीमी आंच पर उबालें। ध्यान दें कि इसे तेज आग पर नहीं पकाना है, बल्कि चाय की तरह हल्की आंच पर पकाना है।
जब काढ़ा तैयार हो जाए, तो इसे छानकर गरमागरम पिएं। पहली बार में ही आपको 10% राहत मिल सकती है। इस काढ़े का सेवन प्रतिदिन दो बार करें। यदि आप ऑफिस जाते हैं, तो दोगुना पानी उबालकर थर्मस में भरकर ले जाएं।
सेवन के निर्देश
इस काढ़े का सेवन करने से 15 मिनट पहले और बाद तक ठंडा पानी न पिएं। इसके साथ ही, दही, लस्सी और आचार का सेवन भी न करें। इस उपचार को नियमित रूप से अपनाने से गृध्रसी के रोगियों को बेहतर राहत मिल सकती है।
गृध्रसी (साइटिका) एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हारसिंगार के पत्तों का काढ़ा एक सरल और प्राकृतिक उपचार है, जो रोगियों के लिए राहत का माध्यम बन सकता है। नियमित और सही तरीके से सेवन करने पर, इस उपाय से काफी लाभ हो सकता है।