छत्तीसगढ़ की आदिवासी शिक्षिका और अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी, साहस और संघर्ष की प्रतीक बन चुकी हैं। उन्होंने न सिर्फ़ अपने समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई, बल्कि खुद पर हुए अत्याचारों के बावजूद अपने संघर्ष को जारी रखा। सोरी का जीवन एक प्रेरणा है, जो आदिवासियों के अधिकारों, जल-जंगल-ज़मीन की लड़ाई और अन्याय के खिलाफ संघर्ष की मिसाल है।
सोनी सोरी एक साधारण शिक्षिका थीं, जो अपने आदिवासी समुदाय के लिए काम कर रही थीं। लेकिन जब उन्होंने आदिवासियों पर होने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाई, तो उन्हें गंभीर सजा भुगतनी पड़ी। 2011 में, सोनी पर राजद्रोह का झूठा आरोप लगाया गया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और थाने में ले जाकर उनके साथ अमानवीय अत्याचार किए गए। पुलिस ने उन्हें बिजली के झटके दिए, निवस्त्र किया और उनके शरीर में पत्थर तक ठूंस दिए।
इसके बावजूद, सोनी सोरी का संघर्ष खत्म नहीं हुआ। जेल में ढाई साल बिताने के दौरान, उन्होंने और भी भयानक अत्याचारों का सामना किया। उन्होंने जेल में महिलाओं पर होने वाले शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न को देखा और सुना। कई महिलाओं के साथ पुलिसकर्मियों ने रेप किया, और उन्हें फर्जी नक्सल मामलों में फंसाकर जेल में डाल दिया गया। सोरी ने इन तमाम दर्दनाक अनुभवों को सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी।
"सोनी सोरी संघर्षों की जीती-जागती मिसाल"
— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) September 6, 2024
जिस आदिवासी शिक्षिका ने आदिवासियों पर होने वाले जुल्मों के विरुद्ध आवाज़ उठाई ,
जिस आदिवासी शिक्षिका को #भाजपा सरकार ने थाने में बिजली के झटके दिये, निवस्त्र किया, कोख में पत्थर ठूंस दिये,
जिस आदिवासी शिक्षिका के पति की हत्या भाजपा… pic.twitter.com/kJMysFJC3y
जेल से बाहर आने के बाद, सोनी सोरी ने अपने संघर्ष को और भी मजबूती से जारी रखा। उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया। वह अपने जीवन में हुए अत्याचारों को भूली नहीं, बल्कि उन्हें अपनी ताकत बना लिया। सोनी अब एक गांधीवादी कार्यकर्ता से क्रांतिकारी कार्यकर्ता बन चुकी हैं, जो देशभर में अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं।
सोनी सोरी का संघर्ष उस समय और भी बढ़ गया जब उनकी जान पर हमला हुआ। उन पर एसिड अटैक करवाया गया, जिससे उनका चेहरा जल गया। बावजूद इसके, वह रुकी नहीं। उनका हौसला कभी नहीं टूटा और न ही उन्होंने अपनी आवाज़ को दबने दिया। सोरी ने खुद को एक मजबूत योद्धा के रूप में स्थापित किया, जो अन्याय के खिलाफ डटकर खड़ी हैं।
भारत के विभिन्न हिस्सों में सोनी सोरी को आदिवासियों की आवाज़ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने उन आदिवासी समुदायों के लिए लड़ाई लड़ी है जो वर्षों से अपने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सोनी सोरी ने अपने साहस और संघर्ष से यह साबित कर दिया कि वह न केवल एक शिक्षिका हैं, बल्कि एक योद्धा भी हैं, जो अपने समुदाय की बेहतरी के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।
सोनी सोरी का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो न्याय और मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने अत्याचारों के सामने कभी घुटने नहीं टेके और अपने संघर्ष को न सिर्फ़ जारी रखा, बल्कि उसे और भी व्यापक रूप दिया। उनके साहस और संघर्ष को नमन!