अयोध्या, 16 अगस्त से 21 अगस्त के बीच राम जन्मभूमि मंदिर में सफाईकर्मी के तौर पर कार्यरत एक दलित बच्ची के साथ दुराचार का मामला सामने आया है, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। आरोप है कि इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले लोग भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के परिवार से हैं या खुद पार्टी के पदाधिकारी हैं। इस गंभीर घटना के बावजूद, पीड़िता और उसके परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिला है। बल्कि, फैजाबाद प्रशासन द्वारा कोई सहयोग न मिलने पर परिवार पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
पीड़िता के परिवार ने प्रशासन और पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी तहरीर के आधार पर एफआईआर दर्ज नहीं की और अपनी मर्जी से मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया। जब पीड़िता और उसका परिवार न्याय की मांग लेकर पुलिस स्टेशन गए, तो वहां उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और लगभग 40 से 45 घंटे तक उन्हें थाने में बैठाए रखा गया। परिवार का कहना है कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने पीड़िता को अपमानित किया और गालियां दीं।
बीजेपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने 5 दिन तक दलित बच्ची का गैंगरेप किया
— Dhruv Rathee Satire (@DhruvRatheFc) September 18, 2024
अयोध्या के नाम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी अयोध्या की ही बच्चियों को हवस का शिकार बना रही है
अब योगी जी चुप क्यों हैं? pic.twitter.com/g5Fxmo3LOU
इस मामले में नामजद सात से आठ आरोपी हैं, जिनमें से तीन-चार अज्ञात हैं। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि प्रशासन द्वारा प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि जो सरकार महिला सुरक्षा और सम्मान की बात करती है, वह इस मामले में इतनी निष्क्रिय क्यों है?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार और अयोध्या प्रशासन पर सवाल उठते हुए कहा गया है कि पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने की बजाय उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। पीड़िता के परिवार को धमकियां दी जा रही हैं और मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
यह मामला उस राजनीतिक माहौल में और अधिक गंभीर हो जाता है, जब बीजेपी के नेता देशभर में महिला सुरक्षा और दलित अधिकारों की बात करते हैं। अयोध्या, जो कि धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है, वहां इस तरह की घटना ने जनता को आक्रोशित कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि योगी सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी प्रशासन की लापरवाही और राजनीतिक दबाव के चलते ठंडे बस्ते में चला जाएगा? पीड़िता और उसका परिवार इस वक्त न्याय की गुहार लगा रहे हैं और समाज को यह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि आखिर महिला सुरक्षा के दावे कितने मजबूत हैं?