नई दिल्ली, 3 सितंबर 2024: जातीय जनगणना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का रुख एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि आरएसएस ने कभी भी जातीय जनगणना का समर्थन नहीं किया है, बल्कि इसके विरोध में अपनी आवाज उठाई है। संघ का मानना है कि जातीय जनगणना समाज की एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकती है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता के लिए हानिकारक हो सकता है।
आरएसएस ने इस मुद्दे पर खुलकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि जातीय जनगणना से समाज में विभाजन और असमानता बढ़ सकती है। संगठन का तर्क है कि इस तरह की गणना से विभिन्न जातियों के बीच प्रतिस्पर्धा और आपसी मतभेद उभर सकते हैं, जो राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
RSS ने कभी भी जाति जनगणना का समर्थन नहीं किया?
— Sandeep Chaudhary commentary (@newsSChaudhry) September 3, 2024
जातीय जनगणना से समाज की एकता और अखंडता को खतरे का बहाना करके RSS ने खुले तौर पर विरोध किया है?
संविधान को ना मानने वाली आरएसएस ने दलित पिछड़ों आदिवासी को दिए आरक्षण का भी खुलकर विरोध करते आई है इसलिए 10 साल बीजेपी सरकार रहते हुए… https://t.co/NViVTbQdoi pic.twitter.com/QO8JIykk1R
इस मुद्दे पर संघ की आलोचना भी हुई है। आलोचकों का कहना है कि आरएसएस ने संविधान को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और दलित, पिछड़े, और आदिवासी समुदायों को दिए गए आरक्षण का भी विरोध किया है। यह भी दावा किया जा रहा है कि आरएसएस के प्रभाव के कारण, पिछले 10 वर्षों में जब से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ता में है, जातीय जनगणना नहीं की गई है। इस संदर्भ में, आलोचक यह सवाल उठाते हैं कि क्या सरकार आरएसएस के प्रभाव में आकर संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा कर रही है?
जातीय जनगणना का मुद्दा भारतीय राजनीति में लंबे समय से विवादास्पद रहा है। इसका समर्थन करने वाले दलित और पिछड़े वर्ग के लोग इसे अपने अधिकारों और हकों की सुरक्षा के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि इसके विरोधी इसे समाज में दरार डालने वाला कदम मानते हैं।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, जातीय जनगणना का मुद्दा और भी गरमा रहा है। जहां एक ओर कुछ राजनीतिक दल इसे अपने एजेंडे में शामिल कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आरएसएस जैसे संगठन इसके खिलाफ मजबूती से खड़े हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाया जाएगा, और क्या सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं।