देपालपुर (इंदौर): मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के दौलताबाद गांव में जातिगत भेदभाव का एक उदाहरण देखने को मिला है। यहां के सवर्ण समुदाय और दलित समुदाय के लिए शव यात्राओं के अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं। इस भेदभाव का सामना केवल शव यात्रा तक ही नहीं, बल्कि गांव के राम मंदिर में भी दलितों को होना पड़ता है।
यही hinduism, caste system की कड़वी सच्चाई है ।
— Rationality 😎😎 (@rationalguy777) September 26, 2024
दलितों सवर्ण के शमशान व रास्ते अलग ।
फिर ये कौनसे हिन्दुओ को 1 करना चाहते है ?
मुझे ज्यादा गुस्सा उन लोग से है जो इस भेदभाव को सबकुछ जानते हुए भी सह रहे है ।
हिन्दू धर्म को मजबूत करना मतलब caste system को मजबूत करना ,सम्भल जाओ । pic.twitter.com/sdPR8c86v8
दौलताबाद गांव का राम मंदिर केवल सवर्णों के लिए खुला है। दलित केवल दूर से भगवान के दर्शन कर सकते हैं। यदि वे दान या दक्षिणा चढ़ाना चाहें, तो उन्हें मंदिर के बाहर लगी जाली के माध्यम से ही यह करना होता है। इस भेदभाव का एक दुखद उदाहरण तब सामने आया जब कुछ साल पहले गांव के अंबाराम के घर में विवाह समारोह के दौरान बहू-बेटे ने मंदिर में मत्था टेकना चाहा, लेकिन उन्हें पीट दिया गया। इसी घटना के बाद से दलितों के लिए मंदिर पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
गांव की आबादी राजपूत और धाकड़ समुदाय की अधिक है, जबकि दलितों के दो मोहल्ले हैं। ये मोहल्ले विकास के मामले में पूरी तरह से उपेक्षित हैं। स्थानीय प्रशासन अब तक इन दलित परिवारों के घरों में शौचालय तक का निर्माण नहीं करा सका है।
पूर्व पार्षद हीरा सिंह चौहान ने इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, "आखिर कब तक सहेंगे हम? हमारे साथ ऐसा क्यों होता है? हम भी इंसान हैं।"
इस प्रकार, दौलताबाद गांव में जातिगत भेदभाव एक गंभीर मुद्दा बन गया है, जो न केवल सामाजिक संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि लोगों के मानवीय अधिकारों का भी हनन कर रहा है। स्थानीय प्रशासन को इस भेदभाव को खत्म करने और सभी समुदायों के लिए समानता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।