अहमदनगर, महाराष्ट्र – बाबाभाई पठान नामक एक मुस्लिम व्यक्ति ने समाज में भाईचारे और इंसानियत की एक शानदार मिसाल पेश की है। बाबाभाई ने दो अनाथ हिंदू बहनों को गोद लेकर न सिर्फ उनका पालन-पोषण किया, बल्कि अपने खर्चे पर उनकी शादी भी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार करवाई। यह घटना समाज में एकता और आपसी प्रेम की एक अद्वितीय मिसाल है।
इन दोनों बहनों के पिता का कुछ साल पहले निधन हो गया था, और उनकी मां का कोई भाई न होने के कारण उन्होंने बाबाभाई पठान को अपना भाई मानकर राखी बांधने की परंपरा शुरू की। जब बहनों की शादी का समय आया, तो बाबाभाई ने मामा का फर्ज निभाते हुए उनकी शादी हिंदू परंपराओं के अनुसार धूमधाम से संपन्न करवाई। विदाई के समय जब दोनों बहनें अपने मामा बाबाभाई को पकड़कर रोने लगीं, तो यह दृश्य हर किसी की आंखों को नम कर गया।
यह घटना 2020 के कोरोना काल में भी चर्चा का विषय बनी रही। यह तस्वीर उस समय सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुई थी, जिसे देखकर लोगों ने बाबाभाई के इस कदम की सराहना की। भाईचारे और आपसी प्रेम का यह अद्भुत उदाहरण समाज में धर्म की दीवारों को तोड़ता हुआ नजर आया, जहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने हिंदू रीति-रिवाजों से अपनी बहनों की शादी करवाई।
#महाराष्ट्र के अहमदनगर के एक मुस्लिम व्यक्ति बाबाभाई पठान ने 2 अनाथ बहनों को गोद लिया और हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपने खर्चे पर उनकी शादी करवाई।
— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) September 5, 2024
इन दोनों सगी बहनों के पिता का कुछ साल पहले देहांत हो चुका था। वहीं बहनों की मां के भाई नहीं होने के वजह से वह बाबाभाई पठान को अपना… pic.twitter.com/vPiNwyHLUs
सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर यूजर मूर्ति नैन ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए लिखा, "लेकिन कोई भी मीडिया आपको यह खबर नहीं दिखाएगा क्योंकि वे मुसलमानों को बदनाम करने और इस्लामोफोबिया फैलाने में व्यस्त हैं। देश को गांधी की नजर से देखने पर सब अच्छा ही दिखेगा, लेकिन नफरती बंदरों के चश्मे से देखा तो फलाना जिहाद, ढिमकाना जिहाद ही नजर आएगा। चलिए इन्हें नज़रअंदाज कर आगे बढ़ते हैं!!”
मूर्ति नैन ने आगे लिखा, "यह असली भारत की एक सही तस्वीर है। मुहब्बत और भाईचारा आज भी बहुत नज़दीक है, अब ज़रूरत तो सिर्फ़ नफ़रत को खदेड़ने की है।"
यह घटना बताती है कि हमारे समाज में अब भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो धर्म और जाति की सीमाओं को पार कर एकता और मानवता को प्राथमिकता देते हैं। बाबाभाई पठान का यह कदम देश में आपसी प्रेम और सद्भाव का संदेश फैलाने में सहायक बना है, और यह दिखाता है कि इंसानियत के बंधन किसी धर्म या जाति से ऊपर होते हैं।