लोहरदग्गा, झारखंड: गणेश पूजा के पंडाल को लेकर झारखंड के लोहरदग्गा में तनाव बढ़ गया है, जहां एक समुदाय ने पंडाल लगाने का विरोध किया और इससे हिंसक झड़प हो गई। विवाद का केंद्र वह स्थान था, जहां पिछले 50 वर्षों से गणेश पूजा का आयोजन होता आया था, लेकिन इस वर्ष एक समुदाय ने इस स्थान पर पूजा पंडाल लगाने का विरोध किया।
प्रवीण ठाकुर, जो योगी सेना के जिला अध्यक्ष हैं, ने बताया कि उनके ऊपर हमले की कोशिश की गई जब वे पूजा पंडाल लगाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा, "हमने बस यही कहा था कि दरवाजे के सामने से पंडाल को हटा लें, लेकिन दूसरे पक्ष ने इसे लेकर विरोध किया और हम पर हमला किया गया।"
तनाव और पथराव का दावा
प्रवीण ठाकुर का कहना है कि इस मुद्दे के पीछे दूसरे समुदाय का रुख आक्रामक था, और उन्होंने कहा कि प्रशासन ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने झारखंड में उत्तर प्रदेश की तरह सख्त कानून और प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की। ठाकुर ने कहा, "झारखंड में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में हिंदू त्योहारों पर पथराव की घटनाएं बंद हो गई हैं, लेकिन यहां अब भी ऐसे ही हालात हैं।"
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासी अक्षय ने बताया, "हम पिछले 35 सालों से इस स्थान पर गणेश पूजा कर रहे हैं, लेकिन अब अचानक से हमें यहां पूजा करने से रोका जा रहा है। यह केवल पूजा पंडाल को पीछे हटाने की बात नहीं है, बल्कि इस बार की घटना में हमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस गली में पूजा नहीं होगी।" उन्होंने बताया कि उनके पूजा करने पर हर साल किसी न किसी तरह की रुकावट आती रही है।
प्रमेश्वरी देवी, एक और स्थानीय निवासी, ने इस मुद्दे पर कहा, "यहां हर बार हमें पूजा करने में मुश्किल होती है। हमें इस बार भी कहा गया कि हम यहां पूजा नहीं कर सकते।"
यह विवाद धार्मिक असहिष्णुता और पूजा करने के अधिकार पर प्रश्न उठाता है। कई लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके धार्मिक आयोजन करने से रोका जा रहा है, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि वे सिर्फ अपने निजी स्थान की सुरक्षा और शांति बनाए रखना चाहते हैं।
हालांकि प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की उपस्थिति में मामले को शांत करने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय निवासियों की मांग है कि इस विवाद का स्थायी समाधान निकाला जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
इस घटना ने झारखंड के कानून और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों की मांग है कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश की तरह झारखंड में भी सख्त कानून बनाए जाएं ताकि धार्मिक आयोजनों में किसी प्रकार की बाधा न आए। फिलहाल, प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है और उम्मीद की जा रही है कि विवाद का समाधान शीघ्र होगा।
यह घटना एक बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्ष का प्रतीक बन गई है, जहां धार्मिक असहिष्णुता और सहअस्तित्व के सवाल महत्वपूर्ण हो गए हैं। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले का समाधान कैसे निकालते हैं।