अवनि लेखरा, एक प्रेरणादायक नाम जो भारतीय पैरालिंपियन और राइफल शूटर के रूप में उभर कर सामने आया है, ने हाल ही में पेरिस में आयोजित 2024 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में अपनी अद्वितीय उपलब्धि के साथ इतिहास रचा। राजस्थान की इस 22 वर्षीय खिलाड़ी ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल अपने पिछले स्वर्ण पदक का बचाव किया, बल्कि लगातार दो स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव भी प्राप्त किया।
अवनि का जन्म 8 नवंबर 2001 को राजस्थान के एक दलित परिवार में हुआ था। उनकी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 2012 में एक कार दुर्घटना में उनके शरीर के एक अंग ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया। इसके बावजूद, उन्होंने अपने जीवन को नए सिरे से संवारने की ठानी। उनके पिता ने खेलों में भाग लेने के लिए उन्हें प्रेरित किया, जिससे उन्होंने तीरंदाजी की शुरुआत की लेकिन अंततः शूटिंग में अपनी रुचि और क्षमता को पहचान लिया। वर्तमान में, अवनि राजस्थान विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रही हैं और उनके साथ ही उन्होंने केंद्रीय विद्यालय 3, जयपुर में अपने करियर की शुरुआत की जहाँ उन्होंने शूटिंग के क्षेत्रीय मैच में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।
लेखरा की शूटिंग में रुचि 2015 में ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होकर शुरू हुई। उन्होंने जल्दी ही अपने कौशल को निखारा और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते। 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में, अवनि ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने 249.6 अंकों के स्कोर के साथ पैरालिंपिक और विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की। इसके अलावा, उन्होंने 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन में कांस्य पदक भी जीता।
अवनि लेखरा की सफलता केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उनके समर्पण, संघर्ष और खेल के प्रति उनके जुनून का प्रमाण भी है। 3 सितंबर 2021 को, वह महिलाओं की 50 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के बाद पैरालिंपिक इतिहास में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरालिंपियन बनीं। पेरिस 2024 में फिर से स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपने खेल की ऊँचाइयों को छुआ और भारतीय खेल जगत को गर्वित किया।
अवनि की उपलब्धियों से केवल उनकी आत्मकथा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं। उनकी मेहनत और अडिगता ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाई बल्कि भारतीय खेलों को भी एक नई दिशा दी। उनकी कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं।