जिन मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्श राज्य की स्थापना योगीजी कर रहे हैं, वहां न्याय व्यवस्थाएं कैसी रही होंगी, उसकी एक झलक बीते दिनों उत्तर प्रदेश में दिखी

उत्तर प्रदेश, जिसे जंबूद्वीप के नाम से भी संबोधित किया जाता है, हाल के दिनों में लगातार खबरों में रहा है। सूबे में बढ़ते अपराधों और तथाकथित "रामराज्य" के नाम पर हो रही मुठभेड़ों ने एक बार फिर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित इस 'रामराज्य' में अपराध और अन्याय के किस्से आम हो चुके हैं, जिससे जनता भय और असुरक्षा में जी रही है।

हाल ही में, उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में एक घटना सामने आई जहां भाजपा नेता सूर्यमणि तिवारी के समर्थकों ने विजिलेंस टीम पर हमला किया। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। राजधानी लखनऊ से सटे उन्नाव जिले में एक युवक का शव हाईवे के डिवाइडर से लटका मिला, जिससे लोगों में हत्या की चर्चा है, जबकि पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है। इस प्रकार की घटनाएं अब यूपी में आम हो गई हैं। फर्रुखाबाद में दो नाबालिग दलित लड़कियों के शव एक पेड़ से लटके पाए गए। परिवार का कहना है कि वे जन्माष्टमी के कार्यक्रम में गई थीं, और पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले ही आत्महत्या का दावा कर दिया।

इन सबके बीच, सुल्तानपुर जिले में सर्राफा व्यापारी की दुकान पर दिनदहाड़े डकैती की घटना ने लोगों को स्तब्ध कर दिया। पांच नकाबपोश बदमाशों ने लाखों रुपये और आभूषण लूट लिए। इसके बाद, उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने इस डकैती के संदिग्धों को पकड़ने के लिए मुठभेड़ की, जिसमें एक आरोपी मंगेश यादव की मौत हो गई। इसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुठभेड़ पर सवाल उठाए। अखिलेश यादव का आरोप है कि मंगेश यादव को जातिगत भेदभाव के कारण मारा गया, क्योंकि वह यादव समुदाय से था, जबकि गिरफ्तार किए गए अन्य सभी आरोपी राजपूत थे।

यह मामला तब और गरमाया जब मुख्य आरोपी विपिन सिंह, जो राजपूत था, एसटीएफ को चकमा देकर अदालत में आत्मसमर्पण कर गया। इसके बाद 5 सितंबर को मंगेश यादव की मुठभेड़ में मौत ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने इस मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या, खासकर जाति-आधारित भेदभाव के आरोपों के साथ, राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। यूपी में योगी सरकार के तहत पुलिस की 'रामराज्य' स्थापित करने की कोशिशें कई बार न्याय के नाम पर अन्याय के आरोपों से घिरी हैं। 

सवाल उठता है कि क्या यह वही आदर्श रामराज्य है, जिसका सपना लोगों ने देखा था?

Rangin Duniya

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