नई दिल्ली – हरियाणा के पूर्व जेल अधीक्षक सुनील सांगवान, जिनके कार्यकाल के दौरान बलात्कार और हत्या के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को छह बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया था, अब राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है और खबरों के मुताबिक, वह आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी से चुनाव लड़ सकते हैं।
सुनील सांगवान, जो हरियाणा जेल विभाग में 22 वर्षों तक सेवा में रहे, 2002 में इस विभाग में शामिल हुए थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जेलों में अधीक्षक के रूप में सेवा दी, जिनमें रोहतक की सुनारिया जेल भी शामिल है। इसी जेल में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम अपनी सजा काट रहे थे। यह वही समय था जब राम रहीम को कई बार पैरोल और फरलो दी गई, जिसकी सिफारिश का अधिकार अधीक्षक के पास होता है। हरियाणा के सदाचारी बंदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 के तहत, जेल अधीक्षक जिला मजिस्ट्रेट से पैरोल या फरलो की सिफारिश कर सकते हैं, जबकि अंतिम निर्णय उपायुक्त या संभाग आयुक्त द्वारा लिया जाता है।
सांगवान के भाजपा में शामिल होने को लेकर राजनीति में चर्चाएं गर्म हैं। उनके पिता सतपाल सांगवान, जो पूर्व में हरियाणा के मंत्री और चरखी दादरी से विधायक रह चुके हैं, दो महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अब उनके बेटे सुनील भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रख रहे हैं।
इससे पहले, 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चरखी दादरी से पहलवान बबीता फोगाट को मैदान में उतारा था, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहीं। इस बार सतपाल सांगवान के बेटे सुनील को इस सीट से टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है।
भाजपा में सुनील सांगवान की एंट्री को लेकर काफी तेजी दिखाई गई। सांगवान ने हाल ही में गुरुग्राम जिला जेल के अधीक्षक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था, जिसे सरकार ने त्वरित रूप से स्वीकार कर लिया। जेल महानिदेशक (डीजी) ने सभी अधीक्षकों को उसी दिन नो-ड्यू सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश भी दिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सांगवान को भाजपा में शामिल कराने की प्रक्रिया कितनी तेज गति से पूरी की गई।
सांगवान का यह कदम हरियाणा की राजनीति में बड़े बदलावों का संकेत दे सकता है, क्योंकि चरखी दादरी जैसे महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी संभावित रूप से चुनावी समीकरणों को बदल सकती है।