हरियाणा में चुनावी माहौल गर्म हो चुका है। एक तरफ कांग्रेस अपनी 7 गारंटियों के साथ मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी ने अपने 20 सूत्रीय संकल्प पत्र के जरिए जनता का भरोसा जीतने का प्रयास किया है। दोनों पार्टियां मुख्य दावेदार हैं, ऐसे में उनकी घोषणाओं पर चर्चा आवश्यक है। आखिर सवाल हरियाणा के लोगों के अगले पांच साल के भविष्य का है।
चुनावी वादों की होड़
हर चुनाव की तरह, इस बार भी मुफ्त वादों की बौछार हो रही है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने जनता के सामने कई बड़े वादे किए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इनमें से कौन से वादे वास्तविक रूप से वित्तीय व्यवहारिक हैं और कौन से केवल वोट हासिल करने के लिए किए गए सस्ते चुनावी हथकंडे हैं।
बीजेपी के 20 सूत्री संकल्प पत्र में क्या है?
बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में कई बड़े वादे किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घोषणाएं हैं:
1. लाडो लक्ष्मी योजना: महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने का वादा।
2. गृहिणी योजना: हरियाणा की गृहिणियों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर।
3. अव्वल बालिका योजना: ग्रामीण कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटर।
हालांकि ये वादे सुनने में आकर्षक हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह राज्य के वित्तीय संसाधनों पर भारी पड़ सकते हैं। लेकिन बीजेपी का दावा है कि उसने पहले भी कई राज्यों में इसी तरह के वादे किए थे और उन पर सफलतापूर्वक अमल भी किया है, जिससे सरकारी खजाने पर कोई बड़ा संकट नहीं आया।
कांग्रेस की 7 गारंटियों की सियासत
कांग्रेस ने अपनी रेवड़ी संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा में 7 गारंटियों का वादा किया है। कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस के इन्हीं वादों से उसे सत्ता मिली, अब पार्टी को उम्मीद है कि हरियाणा में भी इसी रणनीति से जीत हासिल होगी। कांग्रेस के कुछ प्रमुख वादे इस प्रकार हैं:
1. 18 से 60 साल की महिलाओं को 2,000 रुपये का मासिक भत्ता।
2. 500 रुपये में सिलेंडर।
3. 300 यूनिट मुफ्त बिजली।
4. 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज।
कांग्रेस के वादे सुनने में तो लुभावने हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में कांग्रेस की मुफ्त योजनाओं के कारण वित्तीय संकट के उदाहरण सामने हैं। हिमाचल में कांग्रेस के मुफ्त योजनाओं के बाद सरकारी कर्मचारियों को वेतन और पेंशन मिलने में समस्या हो रही है, जबकि कर्नाटक में मुफ्त बस यात्रा से राज्य परिवहन निगम घाटे में जा रहा है।
कांग्रेस के वादों का पिछला रिकॉर्ड
कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर किए गए वादे भी विवादों में घिरे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में इसे लागू करने के बाद वहां का वित्तीय ढांचा चरमरा गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ा कि राज्य का खजाना खाली हो चुका है और वेतन देने में भी मुश्किल हो रही है। इससे कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
किसानों और युवाओं को लुभाने की कोशिश
कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी का भी वादा किया है, लेकिन हरियाणा की मौजूदा बीजेपी सरकार पहले ही 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत कवर कर चुकी है। वहीं, युवाओं को 2 लाख पक्की नौकरियों का वादा करने वाली कांग्रेस की हुड्डा सरकार पहले खर्ची-पर्ची के लिए बदनाम रही है, जिससे लोगों में अविश्वास पैदा हो रहा है।
जनता किस पर करे भरोसा?
बीजेपी की योजनाओं के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी का भरोसा है, जो पार्टी की विश्वसनीयता को मजबूत करता है। मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में बीजेपी की कल्याणकारी योजनाएं सफलतापूर्वक लागू की जा रही हैं, जो उसे जनता के बीच विश्वास दिलाने में मदद करती हैं।
अब यह देखना होगा कि हरियाणा की जनता किस पर भरोसा करती है – कांग्रेस की गारंटियों पर या बीजेपी के संकल्प पत्र पर। जनता के अगले पांच साल का भविष्य इसी चुनावी निर्णय पर टिका है।