गणेश चतुर्दशी: क्या है और कैसे करें गणपति बप्पा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि

 

गणेश चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसे गणपति बप्पा के आगमन और उनकी विदाई के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, लेकिन अंतिम दिन, जिसे चतुर्दशी या अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, वह भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करने का दिन होता है। यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण होता है, जहां भक्त अपने आराध्य की विदाई पूरे विधि-विधान और उत्सव के साथ करते हैं।

 गणेश चतुर्दशी क्या है?

गणेश चतुर्दशी भगवान गणेश की पूजा का अंतिम दिन होता है, जो गणेश चतुर्थी से शुरू होता है और दस दिनों तक चलता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभकारी देवता माना जाता है, जो बुद्धि, समृद्धि और सफलता के देवता हैं। चतुर्दशी को गणेश जी का विसर्जन किया जाता है, जिसमें उनके भक्त उन्हें जल में विदा करते हैं, ताकि वे अगले साल फिर से घरों में आ सकें।

 पूजा विधि

1. स्नान और स्वच्छता: गणेश चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।

2. गणेश मूर्ति का पूजन: भगवान गणेश की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें। धूप, दीप, और फूल चढ़ाकर उनकी आरती करें।

3. मंत्र जाप: भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ गण गणपतये नमः" या "वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"

4. मिष्ठान्न का भोग: भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, और अन्य मिष्ठान्न का भोग अर्पित करें। गणेश जी को मोदक अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिए इसे विशेष रूप से भोग में रखा जाता है।

5. आरती और विसर्जन: पूजा के बाद, आरती करें और परिवार सहित भगवान गणेश का विसर्जन करने के लिए उन्हें जलाशय या नदी में विदा करें।

 शुभ मुहूर्त

विसर्जन का शुभ मुहूर्त गणेश चतुर्दशी के दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 2024 में, गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हो सकता है:

- विसर्जन मुहूर्त: सुबह 10:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक

- सायंकाल मुहूर्त: शाम 5:00 बजे से रात 7:00 बजे तक

इन मुहूर्तों के दौरान भगवान गणेश का विसर्जन करना विशेष शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 गणेश चतुर्दशी का महत्व

गणेश चतुर्दशी का महत्व न केवल धार्मिक होता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह पर्व खासा महत्वपूर्ण है। लोग इस दिन एकजुट होकर गणपति बप्पा को विदा करते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि वे अगले साल और भी ज्यादा समृद्धि और खुशहाली लेकर आएंगे।

गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!

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