जालंधर की रहने वाली निकिता सैनी एक सामान्य अस्पताल कर्मचारी थीं, लेकिन उनका जीवन जनवरी 2021 की घटनाओं के बाद पूरी तरह बदल गया। निकिता, जो अपने स्वतंत्र विचारों के लिए जानी जाती थीं, ने अपने पहले पति से तलाक ले लिया था। हालांकि, तलाक के बाद भी उनका जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन अकेले जीवन की चुनौतियों से वे जूझ रही थीं।
सहपाठी से हुआ संपर्क
इसी बीच निकिता का संपर्क अपने स्कूल के सहपाठी सैयद आफरीन शाह से हुआ, जो जम्मू के पठानकोट का निवासी था। फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए बातचीत के दौरान, आफरीन को निकिता के जीवन के बारे में सारी जानकारी हो गई थी - कि वह तलाकशुदा हैं और अकेली रह रही हैं।
जनवरी 2021 में, आफरीन अपनी मां को इलाज के लिए जालंधर लाया, जो कैंसर से पीड़ित थीं। उसने निकिता से मदद की गुहार लगाई, और निकिता ने अपने संपर्कों का उपयोग करके उसकी मां का अच्छे अस्पताल में इलाज करवाया। इसी दौरान आफरीन की मां ने निकिता के सामने प्रस्ताव रखा कि वह आफरीन से शादी कर ले। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निकिता पर इस्लाम कबूलने का कोई दबाव नहीं होगा।
विवाह और धोखे की शुरुआत
निकिता ने आफरीन से विवाह का निर्णय लिया, और दोनों ने सहारनपुर के कलियर शरीफ में निकाह किया। यहीं पर निकिता को पहला झटका लगा जब उसका नाम बदलकर 'नफीसा आरफीन शाह' कर दिया गया। निकिता ने जब इसपर सवाल उठाया, तो उसे बताया गया कि यह केवल एक औपचारिकता है और इसका कोई विशेष महत्व नहीं है। इसके बाद दोनों ने हरिद्वार जाकर हिंदू रीति-रिवाज से भी शादी की।
परिवार की खौफनाक मांग
शादी के कुछ दिन बाद, निकिता पठानकोट पहुंची, जहां पहले कुछ दिन सामान्य बीते। लेकिन तीसरी रात को आफरीन का पूरा परिवार इकट्ठा हुआ और निकिता से अजीबोगरीब मांगें की जाने लगीं। आफरीन के पिता मकबूल शाह से निकाह करने का दबाव डालना शुरू किया गया। निकिता को बताया गया कि उसकी सास कैंसर की वजह से अपने पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकती, और अगर निकिता मकबूल शाह से निकाह कर लेती है, तो यह उनकी जरूरतों को पूरा करेगा और "घर की बात घर में ही रहेगी।"
निकिता की हिम्मत
निकिता ने इस घिनौनी मांग को ठुकरा दिया और जालंधर लौट आई। जब उसने आफरीन से इस बारे में बात की, तो उसने भी अपने परिवार का ही समर्थन किया और कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं है। निकिता को समझ आ गया कि उसका पति और उसका परिवार उससे वेश्यावृत्ति करवाना चाहता था। उन्होंने उसे हर महीने 20,000 रुपये देने की पेशकश भी की, लेकिन निकिता ने साफ इनकार कर दिया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस और न्याय की लड़ाई
निकिता ने जम्मू के पुलिस विभाग से मदद की गुहार लगाई, लेकिन वहां भी उसे न्याय नहीं मिला। उसे डर है कि आफरीन के परिवार का हथियारों का कारोबार है और अगर वह उनकी बात नहीं मानती, तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। निकिता अब एक ऐसी स्थिति में फंसी हुई हैं, जहां वह न केवल अपने जीवन के लिए, बल्कि अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए भी लड़ रही हैं।
यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति गहरे पूर्वाग्रह और मानसिकता को उजागर करती है। निकिता सैनी की यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण है, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही हैं, लेकिन यह भी बताती है कि किस तरह से समाज में कुछ लोग महिलाओं की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।