उत्तर प्रदेश की राजनीति और पत्रकारिता के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जहां पत्रकार ममता त्रिपाठी पर जातिवाद से संबंधित खबरों के चलते एफआईआर दर्ज की गई है। त्रिपाठी, जो वर्तमान में अपने परिवार से दूर रह रही हैं, के खिलाफ मामला 353/2 धारा के तहत दर्ज किया गया है। इसे लेकर पत्रकार जगत में गहरी चिंता व्याप्त है।
त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में जातिवादी असमानता को बढ़ावा देने वाले ट्वीट किए, जिसके चलते योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस प्रकरण ने पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ममता त्रिपाठी का कहना है, "मैंने तो केवल अपना काम किया है, जो एक पत्रकार का कर्तव्य होता है। लेकिन अब मुझे डराया जा रहा है कि गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मेरे खिलाफ पांच एफआईआर पहले से दर्ज हो चुकी हैं।" त्रिपाठी का यह बयान स्पष्ट रूप से बताता है कि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर बढ़ती कार्रवाई केवल एक राजनीतिक खेल का हिस्सा बनती जा रही है।
उत्तर प्रदेश में दो पत्रकारों पर FIR दर्ज होने की खबर आ रही है !
— Jay Mangal Yadav (@MangalYadavSP) September 20, 2024
1- अभिषेक उपाध्याय जी , 2- ममता त्रिपाठी जी
इनका क़सूर सिर्फ़ सोशल मीडिया पर टॉप अधिकारियों यादव ठाकुर वाली लिस्ट वायरल थी
मठाधीश तानाशाह मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ ज़रा सा लिख दो तो केस हो जाना पक्का है ! UP में… pic.twitter.com/reiSPngLe0
पत्रकारिता जगत और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस मुद्दे पर योगी सरकार की तीखी आलोचना की है। पूर्व अध्यक्ष ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ करार दिया है। उनका कहना है, "पत्रकारिता को टारगेट करना लोकतंत्र की नींव को हिलाने जैसा है। योगी जी को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और इस एफआईआर को वापस लेकर एक बड़ा दिल दिखाना चाहिए।"
ममता त्रिपाठी ने यह भी साफ किया कि वह डरने वाली नहीं हैं। उनका कहना है, "मैं पत्रकारिता नहीं छोड़ने वाली हूं, चाहे कितनी भी एफआईआर हों। मैंने सही खबरें लिखी हैं और भविष्य में भी लिखती रहूंगी।"
इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की सरकार की चुप्पी ने मामले को और जटिल बना दिया है। कई एनजीओ और वरिष्ठ वकील ममता त्रिपाठी की मदद के लिए आगे आने की बात कर रहे हैं।
यह प्रकरण उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न के बारे में नए सवाल खड़े करता है। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और पत्रकारों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को रोकेंगे, या यह सिर्फ एक राजनीतिक खेल का हिस्सा रहेगा?