लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में एक बयान देकर सनसनी फैला दी है। मौर्य ने कहा है कि अयोध्या में तीन बार खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध के अवशेष मिले हैं, जिसके बाद खुदाई रोक दी गई। यह बयान विशेष रूप से एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, क्योंकि यह जानकारी अभी तक अधिकतर लोगों के सामने नहीं आई थी।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "अयोध्या में तीन बार खुदाई की गई, और हर बार खुदाई के दौरान बुद्ध के अवशेष मिले। इसके बाद खुदाई को रोक दिया गया।" मौर्य के इस बयान ने धार्मिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने यह भी कहा कि एससी, एसटी, और ओबीसी समुदायों को इस तरह की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जानकारी से अवगत कराया जाना चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों और धरोहरों के बारे में जागरूक हो सकें।
अयोध्या, जो कि भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जानी जाती है, में हमेशा से ही धार्मिक और ऐतिहासिक खुदाइयों को लेकर विवाद रहा है। यहां पहले भी पुरातात्विक खुदाई की गई है, और उसमें कई प्राचीन अवशेष मिले हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस नए दावे ने बुद्ध धर्म और अयोध्या के ऐतिहासिक महत्व को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर दिया है।
हालांकि, मौर्य के इस बयान पर अभी तक किसी आधिकारिक संस्थान या पुरातात्विक विभाग की प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन उनका दावा इस ओर इशारा करता है कि अयोध्या केवल हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि बुद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।
स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने एक बहुत बड़ी जानकारी दी है, उन्होंने ऐसी जानकारी दी है
— Bhanu Nand (@BhanuNand) September 26, 2024
जो एससी-एसटी ओबीसी समाज के बहुत से लोगों को शायद नहीं पता होगी
स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने कहा है -
"अयोध्या में तीन बार खोदाई हुई तीनों बाद बुद्ध के अवशेष मिले बाद में खाेदाई रुकवा दी गई" pic.twitter.com/HCzscVlRXg
स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक तौर पर भी असर डाल सकता है, खासकर उन समुदायों पर जो बुद्ध धर्म के अनुयायी हैं। एससी, एसटी, और ओबीसी समुदायों में बुद्ध धर्म के प्रति झुकाव को देखते हुए यह बयान उनके लिए प्रेरणादायक हो सकता है। मौर्य का मानना है कि इन समुदायों को अपने इतिहास और धरोहर से परिचित कराना जरूरी है, ताकि वे अपने अस्तित्व और योगदान को बेहतर ढंग से समझ सकें।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान ने अयोध्या की ऐतिहासिकता को एक नए दृष्टिकोण से देखने का मार्ग प्रशस्त किया है। हालांकि, इस दावे की पुष्टि के लिए और भी अध्ययन और प्रमाण की आवश्यकता है। अगर मौर्य का दावा सही साबित होता है, तो यह अयोध्या के इतिहास के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व के क्षेत्र में भी एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
इस मुद्दे पर आगे क्या घटनाक्रम होता है, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन फिलहाल मौर्य का यह बयान चर्चा का केंद्र बना हुआ है।