जोतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की मूर्तियों को दुर्गेश पांडे ने बताया 'पैसों की बर्बादी, माली समाज और बहुजन समाज में भारी आक्रोश

महाराष्ट्र में हाल ही में महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की मूर्तियों के उद्घाटन के बाद एक विवाद खड़ा हो गया है। जहां एक ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार के साथ मिलकर इन मूर्तियों का उद्घाटन किया और उनके योगदान की सराहना की, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति, दुर्गेश पांडे, ने इन मूर्तियों को 'पैसों की बर्बादी' बताया है। इस टिप्पणी के बाद माली समाज और बहुजन समाज के लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

 मूर्तियों के उद्घाटन पर सीएम शिंदे की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, "हमें महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के आदर्शों का पालन करना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपने कार्य को कभी नहीं छोड़ा। हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे महापुरुष हमारे महाराष्ट्र में जन्मे।"

शिंदे ने यह भी बताया कि राज्य सरकार का ध्यान केवल बुनियादी ढांचे पर ही नहीं, बल्कि समावेशी विकास के माध्यम से सामाजिक एकता प्राप्त करने पर भी केंद्रित है। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार जनता की सरकार है, और हम समाज की प्रगति के लिए समावेशी विकास को महत्वपूर्ण मानते हैं।"

 सावित्रीबाई फुले से प्रेरणा लेकर महिलाओं के लिए नई योजनाएं

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार सावित्रीबाई फुले के आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। "बेटियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए सरकार सभी खर्च उठाती है। हमने 'लाडली बहन योजना' शुरू की है ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और आत्मसम्मान प्राप्त कर सकें। यह सभी प्रेरणा हमें सावित्रीबाई फुले से मिली है।"

 दुर्गेश पांडे की टिप्पणी से आक्रोश

दुर्गेश पांडे नामक एक व्यक्ति ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर यह लिखा कि ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की मूर्तियों का उद्घाटन 'पैसों की बर्बादी' है। इस टिप्पणी के बाद माली समाज और बहुजन महापुरुषों के समर्थकों में भारी रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि यह सिर्फ दलितों के महापुरुषों के प्रति नहीं, बल्कि तमाम बहुजन महापुरुषों और उनके विचारों के प्रति अपमानजनक है।

माली समाज के लोगों ने इस टिप्पणी को बेहद अपमानजनक बताया और इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह समय है कि माली समाज जागरूक हो और अपने महापुरुषों के सम्मान के लिए एकजुट होकर खड़ा हो। समाज के कई वर्गों ने भी इस मामले की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे बयान समाज में विभाजन और नफरत को बढ़ावा देते हैं।

अब देखना यह है कि इस विवाद पर राज्य सरकार और संबंधित अधिकारी क्या कदम उठाते हैं और क्या दुर्गेश पांडे अपनी टिप्पणी पर कोई सफाई देते हैं या नहीं। 

Rangin Duniya

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