क्या एक श्राप के कारण औरतों को भोगनी पड़ती है मासिक पीड़ा? जाने भागवत पुराण की अनोखी कथा

क्या एक श्राप के कारण औरतों को भोगनी पड़ती है मासिक पीड़ा? जाने भागवत पुराण की अनोखी कथा

हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक ऐसी कथाएँ वर्णित हैं जो अद्वितीय और अकल्पनीय हैं। इन कथाओं में कई रहस्य छिपे हुए हैं, जिनका आधार हिंदू धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ हैं। इसी क्रम में एक कथा है, जो महिलाओं के मासिक धर्म के पीछे का पौराणिक कारण बताती है। यह कथा भागवत पुराण से ली गई है, जिसमें देवराज इंद्र और ब्रह्म हत्या के पाप से संबंधित एक महत्वपूर्ण घटना का वर्णन है।

 इंद्र देव का ब्रह्म हत्या का पाप

कथा के अनुसार, एक समय गुरु बृहस्पति इंद्र देव से नाराज़ हो गए, जिसका लाभ उठाकर असुरों ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। इंद्र को अपना सिंहासन छोड़कर भागना पड़ा। अपनी रक्षा के लिए इंद्रदेव सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पास पहुँचे और मदद की गुहार लगाई। ब्रह्मा जी ने उन्हें सलाह दी कि वे एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करें, जिससे प्रसन्न होकर उन्हें उनका स्वर्ग वापस मिल सकता है।

इंद्रदेव ने ब्रह्मा जी की आज्ञा मानते हुए एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा शुरू कर दी। परंतु, वह ब्रह्मज्ञानी असुर माता का पुत्र था और इसलिए उसका झुकाव असुरों की ओर था। उसने इंद्रदेव द्वारा दी जाने वाली हवन सामग्री असुरों को अर्पित करनी शुरू कर दी। जब इंद्र को यह बात पता चली, तो क्रोध में आकर उन्होंने उस ब्रह्मज्ञानी की हत्या कर दी। इस हत्या को ब्रह्म हत्या माना गया, जो एक महापाप था।

 भगवान विष्णु का समाधान

इंद्रदेव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने उन्हें चार तत्वों— पेड़, भूमि, जल और स्त्री— में पाप का बंटवारा करने का सुझाव दिया। इंद्र ने इन सभी से विनती की और पाप का एक-एक हिस्सा इन्हें दिया।

1. पेड़: पेड़ ने पाप का एक हिस्सा स्वीकार किया, जिसके बदले उसे यह वरदान मिला कि मरने के बाद भी वह स्वयं को पुनर्जीवित कर सकेगा।

2. जल: जल ने भी पाप का हिस्सा लिया और इसके बदले उसे पवित्रता का वरदान मिला। इसी कारण से हिंदू धर्म में जल को पूजा-पाठ में पवित्र माना जाता है।

3. भूमि: भूमि ने भी पाप का हिस्सा लिया, जिसके बदले उसे यह वरदान मिला कि उस पर आई चोटें अपने आप ठीक हो जाएंगी।

4. स्त्री: अंत में इंद्र ने स्त्री से अनुरोध किया, और स्त्री ने शेष बचा पाप अपने ऊपर ले लिया। इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा सहनी पड़ती है। लेकिन इसके बदले में उन्हें वरदान दिया गया कि वे पुरुषों की तुलना में अधिक शारीरिक आनंद प्राप्त कर सकेंगी।

 मासिक धर्म का पौराणिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

जहाँ विज्ञान मासिक धर्म को एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया मानता है, वहीं पौराणिक कथाओं में इसे ब्रह्म हत्या के पाप के साथ जोड़ा गया है। यह कथा महिलाओं के मासिक धर्म के पीछे का धार्मिक कारण प्रस्तुत करती है, जिसे समाज में सदियों से व्याख्यायित किया जाता रहा है।

इस प्रकार, इस पौराणिक कथा के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि कैसे धार्मिक मान्यताएँ और मिथक हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित करते हैं। 

स्रोत: भागवत पुराण

Rangin Duniya

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