हरियाणा: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैश्य समाज से जुड़ी प्रमुख महिला नेता कविता जैन, जिनका राजनीतिक सफर भाजपा के कठिन दौर में शुरू हुआ था, आज खुद को एक अलग परिस्थिति में पा रही हैं। जब भाजपा के पास हरियाणा विधानसभा में मात्र 4 विधायक हुआ करते थे, तब कविता जैन पार्टी की प्रमुख आवाज़ थीं। उन्होंने उस समय भाजपा के झंडे को बुलंद रखा, जब पार्टी को सीमित समर्थन प्राप्त था और अन्य नेता पार्टी से दूर जा रहे थे।
लेकिन अब, जिस पार्टी के लिए उन्होंने सालों तक संघर्ष किया, उसी पार्टी ने आगामी चुनाव में उनकी टिकट काटकर एक नए सदस्य को दे दी, जो हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। यह निर्णय न केवल कविता जैन के समर्थकों के लिए, बल्कि हरियाणा के वैश्य समाज और महिला शक्ति के लिए भी एक गहरा झटका साबित हुआ है।
कविता जैन का संघर्ष और पार्टी में योगदान
कविता जैन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उस दौर में की थी जब भाजपा हरियाणा में हाशिए पर थी। उन्होंने कई बार विधानसभा में भाजपा की आवाज़ उठाई और संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने दृढ़ संकल्प और पार्टी के प्रति समर्पण के कारण वह राज्य की राजनीति में एक सम्मानित नाम बन गईं। उनका यह सफर भाजपा के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों से भरा रहा है।
टिकट कटने से फैला असंतोष जिस दौर में BJP के पास सिर्फ 4 विधायक थे, उनमें से एक कविता जैन थीं। जिस दौर में कोई बीजेपी का बस्ता उठाने वाला नहीं था, कविता जैन विधानसभा में बीजेपी की आवाज़ उठाती थीं...
लेकिन आज वो ख़ून के आंसू रो रही हैं। क्योंकि बीजेपी ने वैश्य समाज से आने वालीं अपनी सबसे सशक्त महिला… pic.twitter.com/rUiAxiUiBz
हाल ही में भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकटों की घोषणा की, जिसमें कविता जैन का नाम शामिल नहीं था। उनकी जगह एक नए उम्मीदवार को टिकट दिया गया, जो कुछ समय पहले ही कांग्रेस से भाजपा में आए थे। इस फैसले से वैश्य समाज और महिला कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। कविता जैन के समर्थक इसे एक अन्याय के रूप में देख रहे हैं और पार्टी के प्रति उनके विश्वास को ठेस पहुंची है।
वैश्य समाज और महिला शक्ति का आक्रोश
कविता जैन को हरियाणा के वैश्य समाज और महिलाओं के बीच एक सशक्त नेता के रूप में देखा जाता है। उनके टिकट कटने के बाद, वैश्य समाज के कई प्रमुख नेताओं ने इसे समुदाय के साथ धोखा बताया है। वहीं, महिला संगठन और कार्यकर्ता भी भाजपा के इस फैसले से आहत हैं।
कई लोगों का मानना है कि भाजपा ने इस निर्णय के साथ एक सशक्त महिला नेता को दरकिनार किया है, जिसने कठिन समय में पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। अब पार्टी को आगामी चुनावों में वैश्य समाज और महिलाओं के असंतोष का सामना करना पड़ सकता है।
आगामी चुनावों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती साबित हो सकता है, खासकर हरियाणा के उन इलाकों में जहां वैश्य समाज का प्रभाव है। टिकट कटने के बाद से ही यह चर्चा जोरों पर है कि आगामी चुनावों में वैश्य समाज और महिला शक्ति इस फैसले का बदला लेने के लिए एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट कर सकते हैं।
भाजपा के इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर भी टिकट वितरण को लेकर असंतोष पनप रहा है, और यह देखना होगा कि इसका चुनावी नतीजों पर कितना प्रभाव पड़ता है।