खतरे में लोकतंत्र: फैलते जहर को रोकने का कोई उपाय नहीं, युवाओं का कट्टरपंथीकरण - खास रिपोर्ट

खतरे में लोकतंत्र: फैलते जहर को रोकने का कोई उपाय नहीं, युवाओं का कट्टरपंथीकरण - खास रिपोर्ट

वुंजीडेल, बवेरिया - बवेरिया की फिष्टेल पहाड़ियों में बसे वुंजीडेल में 21 सितंबर, 2021 को धुर-दक्षिणपंथी नाज़ी युद्ध अपराधी रुडॉल्फ हेस की याद में एक मार्च का आयोजन किया गया। यह मार्च फोल्क्सट्रावरटाग यानी युद्ध का शिकार बने लोगों के लिए जर्मनी के स्मृति दिवस से एक दिन पहले हुआ। इस परेड का आयोजन धुर-दक्षिणपंथी पार्टी डेय ड्रिटे वेग द्वारा किया गया था, जिसने पिछले वर्षों में इसी तरह के कार्यक्रमों का संचालन किया है।

मार्च के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने लोक गीत गाए और अपनी विचारधारा का प्रदर्शन किया। हालांकि इस साल प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, स्थानीय पुलिस ने बताया कि डेय ड्रिटे वेग और अन्य नियो-नाज़ी समूह लोकतंत्र के प्रति विरोधी हैं और उनका उद्देश्य यूरोप की नस्ली शुद्धता है। पुलिस ने चेतावनी दी कि ऐसे समूह हिंसक चरमपंथ के प्रतीक हैं और अगर लोग उनके साथ जुड़े रहे, तो उन्हें परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

वुंजीडेल के इस प्रदर्शन ने एक बार फिर दिखाया है कि धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा यूरोप के विभिन्न हिस्सों में उभर रही है। हाल के वर्षों में, कई नियो-नाज़ी समूहों की गतिविधियों में तेजी आई है, जिनका न केवल जर्मनी, बल्कि फ़्रांस, पूर्वी यूरोप और अन्य क्षेत्रों में भी खतरा बढ़ रहा है। 

युवाओं का कट्टरपंथीकरण  

जर्मनी में नियो-नाज़ी गतिविधियों के बढ़ने के साथ, कई युवा इन समूहों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, लोगान नीजां, जो 2017 में गिरफ्तार हुआ था, ने एक नियो-नाज़ी वेबसाइट से हथियार खरीदने की कोशिश की थी। उसके परिवार ने बताया कि वह राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे हिंसा की ओर बढ़ा।

इस तरह के घटनाक्रमों ने अधिकारियों को चौकस कर दिया है। जर्मनी के कई हिस्सों में नियो-नाज़ी संगठनों के खिलाफ छापेमारी की गई है, जिसमें हथियारों और प्रोपेगेंडा सामग्री जब्त की गई है। इसके अलावा, फ़्रांस में भी धुर-दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, क्योंकि वहाँ भी ऐसी विचारधाराएँ प्रभावी हो रही हैं।

समाज में इस तरह के समूहों की बढ़ती ताकत ने चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन समूहों को रोका नहीं गया, तो वे भविष्य में गंभीर हिंसा का कारण बन सकते हैं। जर्मन पुलिस ने न केवल इन समूहों की गतिविधियों पर नजर रखने की बात कही है, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया है कि उन्हें जल्दी से जल्दी रोकना जरूरी है।

बवेरिया का यह मार्च एक कड़वा सच है, जो बताता है कि धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा न केवल ज़िंदा है, बल्कि बढ़ रही है। समाज के विभिन्न हिस्सों में इस पर चर्चा हो रही है कि इसे कैसे समाप्त किया जाए और एक बेहतर और समावेशी समाज का निर्माण कैसे किया जाए।

नाज़ी विचारधारा का नया चेहरा: एक गहन अध्ययन

एक हालिया इंटरव्यू में, एक आत्म-घोषित नियो-नाज़ी ने अपनी कट्टरपंथी विचारधारा का खुलासा किया है। उसका कहना है, "मैं कोई राष्ट्रवादी नहीं हूं, मैं सिर्फ गोरे लोगों का समर्थक हूं।" यह बयान उस समय आया जब उसका इंटरव्यू एक सीमित उपयोगकर्ताओं वाले इंटरनेट फोरम पर पोस्ट किया गया, जहाँ उसे फ्रेंच टीवी चैनल M6 को यहूदीवाद के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के एजेंट के रूप में देखा गया।

M6 को तीन खोले और तीन बंद ब्रैकेट्स के बीच रखा गया है, जो धुर-दक्षिणपंथियों का एक मशहूर कोड है। इस कोड का उपयोग यहूदियों को पहचानने के लिए किया जाता है, जिससे यहूदी विरोधी नज़रिया और भी बढ़ जाता है।

इस बीच, अलजास के एक नियो-नाज़ी ने खुद को 'कैप्टेन' बताकर संपर्क किया। वह 22 साल का है और दावा करता है कि वह एक आंदोलन का हिस्सा है, न कि एक लोनवूल्फ। उसने कहा, "मैं हमेशा गुमनाम रहना चाहता हूं।" उसकी बातों में यह स्पष्ट था कि वह युवा लोगों को अपनी विचारधारा से जोड़ने का कार्य कर रहा है।

कैप्टेन ने बताया कि वह कई युवाओं से मिलता है और उन्हें अपने विचारों से प्रेरित करता है। उसका मानना है, "गोरे ही भविष्य हैं।" वह नस्लीय युद्ध की संभावनाओं का भी जिक्र करता है, जिसमें पूरी दुनिया पर गोरे लोगों का कबज़ा होगा। इस बीच, दानिएल कोन्वेर्सानो नामक एक प्रभावशाली व्यक्ति का नाम सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है और उसकी नस्ली विचारधाराएँ तेजी से फैल रही हैं।

कोन्वेर्सानो की गतिविधियाँ उस समय अधिक चर्चित हुईं जब उसने कई दक्षिणपंथी प्लेटफार्मों पर अपने विचार साझा किए। उसने अपनी पहचान छुपाई हुई है और कहा कि उसका इरादा अपने जैसे लोगों को एकजुट करना है। "मैंने हमेशा अपने जैसे लोगों से प्रतिनिधित्व मांगा है," उसने कहा।

फ्रांस में, नस्लीय तनाव बढ़ रहा है और युवा पीढ़ी निरंतर कट्टरपंथी विचारधाराओं की ओर बढ़ रही है। घरेलू इंटेलिजेंस के अनुसार, जर्मनी में ही हिंसक चरमपंथियों की संख्या 14,000 है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि पश्चिमी समाज के लिए यह एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है।

अंततः, यह स्पष्ट है कि नाज़ी विचारधारा का नया चेहरा समाज के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है, और हमें इसके प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। क्या यह संकेत है कि हमें अपने समाज में फिर से नफरत और विभाजन की जड़ों को देखना होगा? यह सवाल अब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

Rangin Duniya

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