आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली के पंजाबी तोमर राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता विजय सिंह तोमर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं, और उनकी मां त्रिप्ता वाही भी एक शैक्षणिक पृष्ठभूमि से हैं। उनके माता-पिता ने उन्हें 'मार्लेना' नाम दिया, जो उनकी पार्टी के अनुसार, मार्क्स और लेनिन का एक संयोजन था। 2018 में, राष्ट्रीय चुनावों से ठीक पहले, आतिशी ने अपने मध्य नाम को छोड़कर केवल 'आतिशी' के नाम से खुद को पहचाना शुरू किया। वह चाहती थीं कि लोग उनके वंश के बजाय उनके काम पर ध्यान दें।
दिल्ली के लिए आज बहुत दुखद दिन है। आज दिल्ली की मुख्यमंत्री एक ऐसी महिला को बनाया जा रहा है जिनके परिवार ने आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु को फांसी से बचाने की लंबी लड़ाई लड़ी।
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) September 17, 2024
उनके माता पिता ने आतंकी अफ़ज़ल गुरु को बचाने के लिए माननीय राष्ट्रपति को दया याचिकाऐं लिखी।
उनके हिसाब से… pic.twitter.com/SbllONqVP0
दिल्ली में पली-बढ़ी आतिशी ने अपनी स्कूली शिक्षा स्प्रिंगडेल्स स्कूल (पूसा रोड), नई दिल्ली से पूरी की। 2001 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शेवनिंग छात्रवृत्ति पर इतिहास में अपनी मास्टर डिग्री 2003 में पूरी की। 2005 में, वह रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड के मैग्डलेन कॉलेज गईं।
आतिशी ने अपनी राजनीतिक यात्रा में दिल्ली की शिक्षा मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। केजरीवाल सरकार में उनकी भूमिका ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाई, जिससे उन्हें काफी सम्मान मिला। 44 साल की उम्र में अब वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही वह दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री भी हैं।
आतिशी के परिवार ने आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु की फाँसी रुकवाने का प्रयास किया था
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) September 17, 2024
नक्सली मानसिकता को बैकडोर से दिल्ली पर थोपने का पाप केजरीवाल कर रहें हैं
आज आम आदमी पार्टी एक ऐसा CM चुन रही हैं जिसका अन्ना आंदोलन और इंडिया अगेंस्ट करप्शन से कोई नाता कभी नहीं रहा
दिल्ली की जनता एक…
हालांकि, उनके सीएम बनने के साथ विवाद भी शुरू हो गए हैं। कुछ राजनीतिक हस्तियों और सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने उन्हें 'डमी सीएम' कहा और दिल्ली के भविष्य को लेकर चिंता जताई। मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के परिवार ने अफज़ल गुरु, जो एक दोषी आतंकवादी था, की फांसी रुकवाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। मालीवाल ने इसे आतिशी के पृष्ठभूमि का चिंताजनक पहलू बताया और कहा कि दिल्ली के लिए यह एक दुखद दिन है।
इसके अलावा, भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी इसी तरह के आरोप लगाए और कहा कि आतिशी के परिवार ने अफ़ज़ल गुरु की फांसी रोकने का प्रयास किया था। मिश्रा ने केजरीवाल पर "नक्सली कम्युनिस्ट" विचारधारा को दिल्ली पर थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के लोग कभी भी ऐसे नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेंगे। आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही राजनीतिक माहौल में विरोध और संदेह की लहर देखने को मिल रही है।