बाराबंकी, उत्तर प्रदेश: बाराबंकी जिले में एक दलित लड़की के साथ हुए दुष्कर्म मामले ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि पीड़ित परिवार जब इंसाफ की आस लेकर पुलिस के पास गया, तो उन्हें न्याय मिलने के बजाय अपमान और धमकियों का सामना करना पड़ा।
घटना के अनुसार, एक दलित लड़की के साथ उसके गांव में दुष्कर्म किया गया। भयभीत और आहत परिवार ने अपनी बेटी को लेकर नजदीकी पुलिस चौकी का रुख किया। उम्मीद थी कि कानून के रखवाले उन्हें न्याय दिलाएंगे, लेकिन चौकी पर उन्हें घंटों बैठाए रखा गया। इस दौरान, पुलिसकर्मियों ने पीड़िता और उसके परिवार के साथ बदसलूकी की और लड़की को भद्दी बातें कही।
सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी से पीड़ित परिवार को 50 हजार रुपये दिलवाकर मामला रफा-दफा करवा दिया। समझौते के इस कथित प्रयास से परिवार को न केवल न्याय से वंचित कर दिया गया, बल्कि उन्हें और अधिक प्रताड़ित किया गया।
यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां पुलिस का कर्तव्य है कि वह अपराधियों को सजा दिलाए, वहीं इस मामले में पुलिस पर खुद अपराधियों की तरह बर्ताव करने का आरोप लगा है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा सरकार का 'रेपिस्ट बचाओ मॉडल' करार दिया है, जिसमें पीड़ितों को न्याय की जगह प्रताड़ना दी जाती है।
यूपी के बाराबंकी में एक दलित लड़की का रेप होता है। लड़की का परिवार उसे लेकर पुलिस के पास जाता है।
— Congress (@INCIndia) September 2, 2024
पुलिस वाले लड़की और परिवार को चौकी पर बैठाए रखते हैं। लड़की को भद्दी बातें कही जाती हैं।
फिर पुलिस वाले रेप करने वाले से लड़की के परिवार को 50 हजार रुपए दिलवाकर सुलह करा देते हैं।…
इस घटना के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह मामला एक बार फिर उत्तर प्रदेश में दलितों और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, जहां पीड़ित न्याय की उम्मीद में खुद को और अधिक असहाय पाते हैं।
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