जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी बीच कांग्रेस पर पिछले चुनावों में किए गए वादे पूरे न करने के आरोप लग रहे हैं, जो हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान उसके अभियान पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आइए जानते हैं, वे चार प्रमुख वादे कौन से हैं, जिन्हें लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा जा रहा है।
हरियाणा में इस समय विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। 5 अक्टूबर को मतदान होगा और मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। कांग्रेस 10 वर्षों के बाद राज्य की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। हालांकि, 2024 के चुनाव के लिए नए वादों के बावजूद, कांग्रेस की राह आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि पिछली बार किए गए वादों को पूरा न करने के आरोप उस पर लगने लगे हैं। इससे कांग्रेस नेताओं के लिए नए वादे करना और पुराने आरोपों से बचना मुश्किल हो गया है।
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की आवश्यकता होती है। कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि भिवानी सीट माकपा (सीपीआई-एम) के लिए छोड़ी गई है। हालांकि, वादाखिलाफी के आरोपों ने कांग्रेस के चुनाव अभियान को जटिल बना दिया है।
वादाखिलाफी के आरोप
कांग्रेस पर जिन वादों को पूरा न करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वे इस प्रकार हैं:
1. किसान कर्ज माफी का अधूरा वादा
2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पोकरण में वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी, तो 10 दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे। कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई, लेकिन पांच साल के कार्यकाल के बाद भी सभी किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया। इसी वादाखिलाफी के कारण 2023 के चुनाव में कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कर भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला।
2. युवाओं को रोजगार का अधूरा वादा
2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 10 गारंटी दी थीं, जिनमें एक लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा भी शामिल था। प्रियंका गांधी ने प्रचार के दौरान कहा था कि उनकी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में यह वादा पूरा किया जाएगा। हालांकि, जनवरी 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहली कैबिनेट बैठक हो चुकी है, लेकिन यह वादा अभी तक अधूरा है। इस वजह से कांग्रेस पर फिर से वादाखिलाफी का आरोप लग रहा है।
3. महिलाओं को पेंशन का अधूरा वादा
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को हर महीने ₹1500 पेंशन देने का वादा किया था। हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 75 लाख है, जिसमें से 36.9 लाख महिलाएं हैं, और उनके लिए यह वादा बेहद महत्वपूर्ण था। कांग्रेस ने "इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना" शुरू तो की, लेकिन इसमें परिवार के एक सदस्य तक ही पेंशन सीमित कर दी, जिससे कई महिलाएं इस लाभ से वंचित रह गईं।
4. सरकारी कर्मचारियों की समस्याएं
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारी भी अपने वित्तीय लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विशेष रूप से राज्य विद्युत विभाग के पेंशनर्स को अपने लंबित वित्तीय लाभों के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 31 दिसंबर तक भुगतान नहीं हुआ, तो वे अपने बोर्ड कार्ड चुनाव आयोग को भेज देंगे। इस मुद्दे पर भी कांग्रेस सरकार की आलोचना हो रही है।
कांग्रेस हरियाणा में सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, लेकिन अन्य राज्यों में किए गए अधूरे वादों का बोझ उसके चुनाव अभियान को चुनौतीपूर्ण बना रहा है। कांग्रेस के नेताओं को न केवल मतदाताओं को नए वादों के प्रति आश्वस्त करना होगा, बल्कि इन आलोचनाओं का भी जवाब देना होगा, यदि वे आगामी चुनावों में जीत हासिल करना चाहते हैं। मतदान से कुछ दिन पहले, सबकी निगाहें इस पर हैं कि कांग्रेस इस जटिल राजनीतिक परिस्थिति से कैसे निपटती है।