हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले, राज्य में मौजूदा सरकार की तुलना कांग्रेस और आईएनएलडी के ओम प्रकाश चौटाला की पूर्ववर्ती सरकारों से होने लगी है। जनता के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि इन पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल को बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार और अन्याय के लिए याद किया जाता है, जिसमें दलितों और महिलाओं पर अत्यधिक अत्याचार हुए थे।
कांग्रेस शासन के दौरान दलितों पर अत्याचार
कांग्रेस शासन के दौरान दलित समुदाय को कई हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ा। 2010 का मिर्चपुर हमला इस संदर्भ में विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जहां दलित परिवारों को निशाना बनाया गया था। इस हमले में एक 70 वर्षीय व्यक्ति और उनकी विकलांग बेटी की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने कांग्रेस सरकार को दलित मुद्दों के प्रति असंवेदनशीलता के आरोपों के घेरे में ला दिया था।
भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में अनुसूचित जातियों की स्थिति को "चिंताजनक" बताया गया था। एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जांच और दोषसिद्धि की कमी भी गंभीर चिंता का विषय बनी रही। विशेष रूप से, एससी समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई, जो उस समय की प्रशासनिक विफलताओं को उजागर करता है।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि
कांग्रेस के शासनकाल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भी उछाल देखा गया। 2012 में मनोहर सिंह बलात्कार और हत्या का मामला हरियाणा में बड़े पैमाने पर आक्रोश का कारण बना। इस अवधि के दौरान कई सामूहिक बलात्कार की घटनाएं भी सामने आईं, जिसने राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2014 के बीच बलात्कार के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके साथ ही, दहेज हत्या और घरेलू हिंसा के मामलों में भी तेजी से इजाफा हुआ, जिसने राज्य की स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया।
विवादास्पद बयान और चौटाला शासन
इन गंभीर अपराधों के प्रति कांग्रेस की प्रतिक्रिया को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। पार्टी के प्रवक्ता धरमबीर गोयत ने एक विवादास्पद बयान में कहा था कि राज्य सरकार बलात्कार के लिए जिम्मेदार नहीं है, और अधिकांश मामलों में सहमति से संबंध स्थापित होते हैं। इस बयान ने कांग्रेस पार्टी के भीतर महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा के प्रति उपेक्षा को दर्शाया।
हरियाणा में चौटाला परिवार का शासन भी कम विवादास्पद नहीं रहा। उनके कार्यकाल में कानून व्यवस्था को लेकर कई गंभीर आरोप लगे। कांग्रेस और चौटाला परिवार दोनों को राज्य में अपराध और न्याय के प्रबंधन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
जनता की निगाहें आगामी चुनाव पर
कुल मिलाकर, हरियाणा में कांग्रेस और चौटाला के शासन को बढ़ती अपराध दर, भ्रष्टाचार और न्याय की कमी के लिए याद किया जाता है। विशेष रूप से, दलितों और महिलाओं जैसी कमजोर समुदायों को उनके कार्यकाल के दौरान गंभीर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं, जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या मौजूदा सरकार इन मुद्दों को संबोधित करने में सफल होगी या नहीं।