झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने “मिला क्या” नामक एक महत्वपूर्ण चुनावी अभियान की शुरुआत की है, जो राज्य की मौजूदा सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) सरकार के प्रदर्शन की जांच करता है। यह अभियान सोरेन सरकार द्वारा किए गए चुनावी वादों और उनके परिणामों के बीच के अंतर पर ध्यान केंद्रित करता है।
भाजपा का यह अभियान झारखंड की राजनीतिक सियासत में बड़ा प्रभाव डालने का प्रयास कर रहा है। पार्टी का दावा है कि सोरेन सरकार अपने कार्यकाल के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में असफल रही है और जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। भाजपा का कहना है कि “मिला क्या” अभियान के जरिए वह जनता को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि मौजूदा सरकार द्वारा किए गए वादों की हकीकत क्या है और उनके दावों में कितनी सच्चाई है।
भाजपा का ‘मिला क्या’ अभियान: मुख्य मुद्दों पर फोकस
भाजपा का 'मिला क्या' अभियान सोरेन सरकार के प्रमुख चुनावी वादों और उनके परिणामों के बीच की असमानता को उजागर करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इस अभियान के मुख्य बिंदुओं में रोजगार, कृषि ऋण माफी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भाजपा का यह दावा है कि ये मुद्दे जनता के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं और मौजूदा सरकार इनमें विफल रही है।
1. युवाओं के लिए रोजगार सृजन: अधूरा वादा
सोरेन सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह राज्य में एक लाख युवाओं को रोजगार देगी। यह वादा झारखंड के युवाओं के लिए उम्मीदों यह अभियान सोरेन सरकार द्वारा किए गए वादों और उनके परिणामों के बीच असमानता को उजागर करने पर केंद्रित है। भाजपा का उद्देश्य जनता को यह बताना है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान हेमंत सोरेन सरकार ने कितने वादे पूरे किए और कहां सरकार असफल रही। भाजपा ने इस अभियान के जरिए सोरेन सरकार की कई प्रमुख योजनाओं और वादों पर सवाल उठाए हैं, जिनमें रोजगार, कृषि ऋण माफी, औद्योगिक विकास, भ्रष्टाचार और भूमि कानून जैसे मुद्दे शामिल हैं।
'मिला क्या' अभियान के मुख्य मुद्दे:
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1. युवाओं के लिए रोजगार
भाजपा ने युवाओं के लिए रोजगार के मुद्दे को अपने अभियान के केंद्र में रखा है। सोरेन सरकार ने अपने पहले वर्ष के भीतर 1 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन भाजपा का कहना है कि यह वादा अधूरा है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि बेरोजगारी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है, और बड़ी संख्या में युवा रोजगार के अवसरों की तलाश में राज्य से बाहर जा रहे हैं। यह मुद्दा झारखंड के युवा मतदाताओं के लिए अत्यंत संवेदनशील है और भाजपा इसे चुनावी चर्चा में प्रमुखता से ला रही है।
2. कृषि ऋण माफी
सोरेन सरकार ने किसानों के ₹2 लाख तक के कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था, लेकिन भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार की ओर से दी गई वास्तविक राहत सिर्फ ₹50,000 तक सीमित है। यह अंतर किसानों के लिए सोरेन सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है। भाजपा ने कहा है कि सरकार का यह कदम झारखंड के ग्रामीण इलाकों में किसानों पर वित्तीय दबाव को कम करने में असफल रहा है। यह मुद्दा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के बीच असंतोष पैदा कर रहा है, जिसे भाजपा अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है।
3. निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा
भाजपा
के अभियान में निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का वादा भी जांच के दायरे में
है। भाजपा का कहना है कि सोरेन सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में बड़े वादे किए थे, लेकिन
उनके कार्यान्वयन में गंभीर कमियां हैं। विशेषकर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और
शिक्षा प्रणाली में सुधार के वादों को पूरा नहीं किया गया है। भाजपा का दावा है कि
आम जनता को इस मोर्चे पर वह सेवाएं नहीं मिल रही हैं जिनका वादा किया गया था, और
ये मुद्दे अब जनता के बीच गुस्से का कारण बन रहे हैं।
झारखंड
जैसे खनिज संपन्न राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का वादा भी अधूरा रहा
है। भाजपा का कहना है कि राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं के लिए
रोजगार सृजन करने के लिए बड़े उद्योगों को आकर्षित करने के वादे पर कोई ठोस
कार्रवाई नहीं हुई है। भाजपा का दावा है कि इस असफलता की वजह से झारखंड आर्थिक
विकास और रोजगार के महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित रह गया है।
भाजपा
का ‘मिला क्या’ अभियान भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे की जांच पर भी केंद्रित है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि सोरेन सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई आरोप
सामने आए हैं, जो सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल
उठाते हैं। यह मुद्दा भाजपा के लिए चुनावी हथियार बन गया है, क्योंकि
राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों ने सरकार की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है।
सोरेन
सरकार ने आदिवासी भूमि के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति देने के लिए भूमि कानूनों
में संशोधन का विरोध किया था। भाजपा का कहना है कि यह मुद्दा अभी भी अधूरा है और
राज्य में भूमि अधिकारों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। भाजपा ने इसे एक प्रमुख
चुनावी मुद्दा बनाकर आदिवासी समुदायों के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
झारखंड
में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का वादा आंशिक रूप से लागू हुआ है। केवल कुछ
क्षेत्रों में ही प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि राज्य के अन्य हिस्सों में शराब की बिक्री
चालू है। भाजपा ने इसे सरकार की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से लागू न कर पाने
का एक और उदाहरण बताया है। पार्टी का दावा है कि यह अधूरी नीति जनता के बीच भ्रम
और असंतोष का कारण बनी है।
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य में भूख से हुई मौतों की सीबीआई जांच शुरू करने के वादे में कोई प्रगति नहीं हुई है। पार्टी का कहना है कि झारखंड जैसे राज्य में यह एक गंभीर मुद्दा है, और सरकार का इस पर कोई ठोस कदम न उठाना बेहद चिंताजनक है।
अतिरिक्त वादे जिनकी भाजपा ने आलोचना की:
1. गरीब परिवारों को सालाना 72,000
रुपये की आय: भाजपा का कहना है कि यह योजना प्रभावी ढंग से लागू नहीं की गई है।
2. महिलाओं को 50,000 रुपये का लोन: इस योजना की असफलता भी भाजपा के
निशाने पर है।
3. हर पंचायत में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा: इस
वादे पर कोई प्रगति नहीं हुई है।
4. नवविवाहित दुल्हनों को सोने का सिक्का: यह वादा
भी कागजों पर ही सीमित रहा।
5. विधवाओं के लिए वित्तीय भत्ता: भाजपा ने सरकार
की नीतियों को अप्रभावी बताते हुए इसे भी आलोचना का हिस्सा बनाया।
6. विवाहित बहनों को घरेलू खर्च के लिए भत्ता: भाजपा का दावा है कि इस योजना का लाभ व्यापक रूप से नहीं पहुंचा।
जनता की प्रतिक्रिया और भाजपा की रणनीति
‘मिला क्या’ अभियान को जनता का समर्थन मिलता दिख रहा है। विशेष रूप से युवा मतदाता, किसान और नौकरीपेशा वर्ग अभियान के प्रमुख लक्षित समूह हैं। जनता ने रोजगार, कृषि ऋण माफी और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर सरकार से नाराजगी व्यक्त की है। यह प्रतिक्रिया भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सोरेन सरकार की कमियों को उजागर करना और मतदाताओं के बीच असंतोष को भुनाना है।
इस अभियान के जरिए भाजपा खुद को झामुमो सरकार के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रही है। भाजपा का दावा है कि वह राज्य की अधूरी जरूरतों को पूरा करेगी और जिन क्षेत्रों में सोरेन सरकार विफल रही है, वहां सुधार लाएगी।
चुनावी सघर्ष की दिशा
झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा और झामुमो के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा का संकेत दे रहे हैं। ‘मिला क्या’ अभियान के जरिए भाजपा सोरेन सरकार के खिलाफ मजबूत राजनीतिक बयानबाजी कर रही है। भाजपा की रणनीति उन वर्गों को आकर्षित करने पर केंद्रित है, जो सोरेन सरकार की नीतियों से निराश हैं। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने विकास कार्यों और योजनाओं को सामने रखकर जनता के बीच भरोसा बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
आने
वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘मिला क्या’ अभियान किस तरह से चुनावी
समीकरणों को प्रभावित करता है। जनता के बीच अभियान की प्रतिक्रिया और भाजपा की ओर
से उठाए गए मुद्दों का प्रभाव, झारखंड की राजनीतिक दिशा को तय करेगा।