चित्रकूट: अगर आप एक गरीब मां-बाप हैं और आपका बेटा किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है, तो शायद आप उसकी तकलीफ को अपनी आंखों के सामने बढ़ते देख सकते हैं, लेकिन कुछ कर पाने की असमर्थता के साथ। सरकारी अस्पतालों में उचित इलाज की कमी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की अत्यधिक महंगाई ने गरीब परिवारों के लिए चिकित्सा सेवाओं को दूर की कौड़ी बना दिया है।
ऐसी ही दर्दनाक कहानी है सकरौंहा गांव के निवासी देवमूरत कुशवाहा और उनके बेटे अर्पित कुशवाहा की। अर्पित, जो कि पांचवी कक्षा का छात्र है, कुष्ठ रोग जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। उसकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे घटती जा रही है, हालांकि अभी भी वह हल्का-फुल्का देख सकता है। लेकिन अगर समय रहते सही इलाज नहीं हुआ, तो उसकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा सकती है और उसकी जिंदगी अंधकार में डूब सकती है।
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) September 15, 2024
👉🏾 अगर आप एक गरीब मां बाप हैं, और आपका बेटा किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो गया है, तो अपनी आंखों से उसे अपाहिज होते/मरते देख सकते हैं।
👉🏾 क्योंकि सरकारी अस्पतालों में अच्छा इलाज होता नहीं, प्राइवेट अस्पतालों में इतना मंहगा इलाज है कि आप करा नहीं सकते।
👉🏾 अर्पित… pic.twitter.com/KCurQCeUWj
अर्पित के माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर है, जिससे वे न तो सरकारी अस्पताल में पर्याप्त इलाज करा पा रहे हैं, और न ही प्राइवेट अस्पताल के भारी खर्च का बोझ उठा सकते हैं। ऐसे में अर्पित की जिंदगी हर दिन मुश्किल होती जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अर्पित का सही समय पर उचित इलाज हो जाए, तो उसकी आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है और वह सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन मौजूदा हालात में, उसकी जिंदगी का भविष्य अनिश्चितता और अंधेरे की ओर बढ़ता जा रहा है।
इस घटना ने न सिर्फ अर्पित के परिवार की कठिनाइयों को उजागर किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि गरीब परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधाएं कब सुलभ होंगी। समाज और सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि कोई भी बच्चा, खासकर गरीबी में जीने वाले, बीमारी से असहाय होकर अपनी जिंदगी न गंवाएं।
सरकार और संबंधित विभागों से अपील की जा रही है कि ऐसे जरूरतमंद बच्चों के लिए विशेष योजनाएं और सुविधाएं मुहैया कराई जाएं ताकि वे बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।