रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर झारखंडी युवाओं के हितों के खिलाफ काम किया है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा ने "झारखंड के लिए बनाई गई नियोजन नीति को पीछे के दरवाजे से रद्द करवाने का घृणित काम किया था।"
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का उद्देश्य हमेशा से झारखंडी युवाओं के अधिकारों को कुचलना और बाहरी लोगों को प्राथमिकता देना रहा है। सोरेन ने यह भी दावा किया कि भाजपा के कार्यकाल में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की परीक्षाओं का आयोजन ढंग से नहीं किया गया और युवाओं को अवसरों से वंचित रखा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारी सरकार ने सत्ता में आने के बाद JPSC और JSSC के तहत हजारों पदों पर झारखंडी युवाओं की नियुक्तियां की हैं। कई पदों पर 75% से 100% झारखंडी युवाओं को नियुक्त किया गया है।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य बनने के बाद कई महत्वपूर्ण पदों पर पहली बार नियुक्तियां उनकी सरकार के कार्यकाल में हुई हैं।
युवा विरोधी भाजपा ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर झारखण्डी युवाओं के लिए बनाए गए नियोजन नीति को पीछे के दरवाजे से रद्द करवाने का घृणित काम किया था।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 20, 2024
उसके बावजूद JPSC और JSSC के तहत हजारों पदों पर झारखण्डी युवाओं को नियुक्तियां हमने दी। कई पदों पर 75% से 100% झारखण्डी युवाओं की… pic.twitter.com/6dECvxBicr
सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए सवाल किया, "षड्यंत्र, फरेब और झूठ में महारत झारखंडी विरोधी भाजपा यह बताये कि उनके कार्यकाल में कितनी JPSC परीक्षाएं करवाई गई थीं और कितने युवाओं को रोजगार मिला था?"
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा कि वे झारखंडी युवाओं के लिए और भी हजारों नियुक्तियों पर काम कर रहे हैं, ताकि राज्य के युवाओं को उनके अधिकार मिल सकें और वे राज्य के विकास में भागीदार बन सकें।
भाजपा की ओर से अभी तक मुख्यमंत्री के इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक वातावरण को और गरमाएगा।
झारखंड में लंबे समय से रोजगार, नियोजन नीति और स्थानीय युवाओं के हितों को लेकर सियासी खींचतान जारी है, और मुख्यमंत्री सोरेन का यह बयान इस मुद्दे को और धार देने का काम कर सकता है।