राजनांदगांव, छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और शिक्षा मंत्री डॉ. रामनारायण सिंह के हालिया बयान कि जिले में शिक्षक और छात्र अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, की सच्चाई अब सवालों के घेरे में है। हाल ही में सामने आए एक मामले ने इस दावे की प्रामाणिकता पर संदेह उत्पन्न कर दिया है।
मामला #छत्तीसगढ़ के #राजनांदगांव का है
— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) September 3, 2024
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने यहां बोला था कि शिक्षक और छात्र अनुपात की स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
लेकिन स्थिति कुछ और ही है....
छात्रा साफ कह रही हैं कि 11वीं और 12वीं के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं।
और जब छात्र DEO… pic.twitter.com/v7yXN2gTcp
स्थानीय छात्रों के अनुसार, राजनांदगांव के कई स्कूलों में 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए कोई भी शिक्षक उपलब्ध नहीं है। छात्राओं का कहना है कि इस स्थिति ने उनकी पढ़ाई को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और उनकी चिंता बढ़ा दी है।
जब छात्रों ने अपनी शिकायत लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के पास पहुंचे, तो उनकी शिकायतों पर कार्रवाई के बजाय उन्हें डांटने और जेल में डालने की धमकी दी गई। छात्रों की यह स्थिति उनकी पढ़ाई और भविष्य को लेकर गहरी चिंता और तनाव का संकेत है।
संगठन और कई स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया है, और अब यह उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और शिक्षा मंत्री डॉ. रामनारायण सिंह इस गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान देंगे और छात्रों की समस्याओं का समाधान करेंगे।