हरियाणा कांग्रेस में हाल ही में बड़े बदलाव हुए हैं। कुलदीप बिश्नोई के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम चंद्र मोहन को प्रदेश चुनाव समिति और राजनीतिक मामलों की समिति में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है। इन समितियों की सूची पहले ही जारी हो चुकी थी, लेकिन हाल ही में कुछ नए नाम इसमें जोड़े गए हैं। चंद्र मोहन का नाम दोनों समितियों में सबसे ऊपर रखा गया है।
चंद्र मोहन, जिनका नाम उनके इस्लाम धर्म अपनाने के बाद चांद मोहम्मद हो गया था, 2008 में अपनी दूसरी शादी के कारण सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने अनुराधा बाली उर्फ़ फिज़ा से शादी की थी, जो उस समय एक बड़ा विवाद बन गया था। उस शादी के बाद उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर चांद मोहम्मद रख लिया। इस कदम से उनके राजनीतिक करियर में भी उथल-पुथल हुई, और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें बिना जानकारी के अनुपस्थित रहने के चलते अपने मंत्रिमंडल से हटा दिया था।
कांग्रेस चुनाव समिति में शामिल नेता:
हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश इलेक्शन कमेटी में कई वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं को शामिल किया गया है। इनमें चंद्र मोहन के अलावा अकरम खान, रामकिशन गुरियार, अतर सिंह सैनी, डॉ. अजय चौधरी, राकेश तंवर, हरिओम कौशिक, परमवीर टोहाना, आनंद सिंह दांगी, धर्मवीर कोलेखां, रघुवीर भारद्वाज और रमेश सैनी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
चंद्र मोहन की 2008 की विवादित शादी
चंद्र मोहन ने 2008 में अनुराधा बाली से दूसरी शादी की थी, जिसके लिए उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था और खुद का नाम बदलकर चांद मोहम्मद रखा था। यह खबर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बड़ा हंगामा बन गई थी। इस्लाम धर्म अपनाने और दूसरी शादी की घोषणा के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटाए जाने का भी सामना करना पड़ा था। उन्होंने उस समय कहा था कि उनका इस्लाम धर्म में गहरा विश्वास है और उन्होंने इसे व्यक्तिगत निर्णय के तौर पर अपनाया है।
कांग्रेस में नई जिम्मेदारी
इन विवादों के बावजूद, चंद्र मोहन का कांग्रेस में प्रभाव और उनकी राजनीतिक पकड़ अब भी मजबूत है। कांग्रेस द्वारा उन्हें दो अहम समितियों में जिम्मेदारी सौंपना पार्टी में उनके प्रभाव को दर्शाता है। आगामी चुनावों के मद्देनज़र, कांग्रेस चंद्र मोहन और अन्य वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।
हरियाणा की राजनीति में यह फेरबदल आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। कांग्रेस ने इस कदम से पार्टी में नए समीकरणों को स्थापित करने की कोशिश की है, जबकि चंद्र मोहन की राजनीतिक वापसी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।