धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की उपासना में शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद और नैवेद्य का विशेष महत्व होता है। इसके विषय में अनेक धारणाएँ और शास्त्रों के प्रमाण भी देखने को मिलते हैं। शिव पुराण, जो शिवोपासना का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, इसमें इस संदर्भ में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
शिव पुराण में प्रसाद और नैवेद्य के ग्रहण करने का महत्व
शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता के 22वें अध्याय में बताया गया है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ नैवेद्य (भोग) ग्रहण करने के विषय में शास्त्रों में व्यापक चर्चा की गई है। सूत जी, जो इस अध्याय के प्रमुख वाचक हैं, ने बताया कि भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना अत्यंत पुण्यकारी होता है और यह पापों के शमन का भी साधन माना जाता है।
सूत जी के अनुसार, शिवलिंग पर विधिपूर्वक अर्पित प्रसाद को ग्रहण करने से ना केवल मनुष्य के पाप दूर होते हैं, बल्कि उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित होता है, उस स्थान की शुद्धि हो जाती है और उसके संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी पवित्र हो जाता है।
ग्रहण करने योग्य प्रसाद
शिव पुराण में यह भी बताया गया है कि यदि शिवलिंग पर नैवेद्य किसी पात्र में रखकर अर्पित किया जाता है, तो उसे ग्रहण करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यह प्रक्रिया अन्य देवी-देवताओं की पूजा में भी अपनाई जाती है, जहाँ प्रसाद को पात्र में रखकर अर्पण किया जाता है और फिर भक्त उसे ग्रहण करते हैं। ऐसे प्रसाद को ग्रहण करने से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और वह विशेष पुण्य का अधिकारी बनता है।
शिवलिंग पर सीधे अर्पित प्रसाद
हालांकि, शिव पुराण के अनुसार, कुछ विशेष प्रकार के शिवलिंगों पर सीधे अर्पित प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। जैसे शालिग्राम शिला, पारद शिवलिंग, और कुछ अन्य प्रकार के स्वयंभू लिंग, जिनपर सीधे नैवेद्य अर्पित किया जाता है, वहाँ प्रसाद का ग्रहण उचित नहीं माना गया है। इन लिंगों पर प्रसाद को पात्र में अर्पण कर ग्रहण करने की विधि का ही पालन करना चाहिए।
शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता के अनुसार, भगवान शिव के प्रसाद और नैवेद्य को ग्रहण करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग पर सीधे अर्पित नैवेद्य को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, थाली में रखकर अर्पित नैवेद्य को ग्रहण करना ही पुण्यकारी माना गया है।
इस प्रकार, भक्तों को शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद के संबंध में शास्त्रीय निर्देशों का पालन करना चाहिए और विधिपूर्वक ग्रहण करना चाहिए।