सुपौल, बिहार – राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व विधायक यदुवंश कुमार यादव द्वारा ब्राह्मणों को लेकर दिया गया एक विवादित बयान राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मचा रहा है। यादव ने कहा कि ब्राह्मण भारतीय नहीं हैं, बल्कि रूस और यूरोप से भागकर भारत आए हैं। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में गर्मागर्मी बढ़ा दी है और महागठबंधन में भी विवाद उत्पन्न कर दिया है।
यादव ने सुपौल में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए यह दावा किया कि "ब्राह्मण मूल रूप से भारत के निवासी नहीं हैं। डीएनए जांच से यह साबित हुआ है कि ब्राह्मण रूस और अन्य यूरोपीय देशों से भागकर भारत में बस गए हैं। वे हमें विभाजित करने और शासन करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें उन्हें यहां से भगा देना चाहिए।" उनके इस बयान के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
महागठबंधन में राजद की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक कुमार झा ने कहा, "राजद के नेता मीडिया में बने रहने के लिए इस प्रकार की अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। क्या परशुराम रूस से आए थे? ऐसी बयानबाजी महागठबंधन की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। राजद को ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी यादव के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा, "राजद नेता की मानसिक स्थिति अस्थिर लगती है। इस क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले राजद नेता मनोज कुमार झा और जेडीयू नेता संजय झा को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या ब्राह्मण वास्तव में भारत के हैं या कहीं और से आए हैं।"
भाजपा ने महागठबंधन की ओर से लगातार विवादित बयानबाजी को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि महागठबंधन के घटक दलों के बीच विवादित बयान देने की होड़ लगी हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि वे देश की जनता को असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
यदुवंश कुमार यादव के इस बयान के बाद न सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच बवाल मचा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उनकी टिप्पणी की आलोचना हो रही है। राजद के इस वरिष्ठ नेता के बयान को लेकर ब्राह्मण समुदाय में भी नाराजगी देखी जा रही है। समुदाय के कई संगठनों ने इस बयान की निंदा करते हुए माफी की मांग की है।
इस पूरे विवाद के बीच राजद ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यादव के बयान से पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और जल्द ही पार्टी की ओर से कोई कदम उठाया जा सकता है। हालांकि, राजद के कुछ नेताओं ने यादव के बयान से दूरी बनाते हुए इसे उनकी व्यक्तिगत राय करार दिया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवादित बयान न सिर्फ राजनीतिक दलों की छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि समाज में भी विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं। यादव का बयान एक ऐसे समय में आया है जब बिहार में महागठबंधन की सरकार अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में इस प्रकार के बयान गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।
यदुवंश कुमार यादव के इस बयान से उत्पन्न विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या नेता अपने बयानों के माध्यम से समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, या फिर यह सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए किया गया एक स्टंट है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राजद इस विवाद का समाधान कैसे करता है और क्या यादव अपने बयान पर सफाई देंगे या माफी मांगेंगे।