नाजिया इलाही खान, जो इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं, को 10 सितंबर को ईशनिंदा के एक मामले में गिरफ्तार किया गया। हालाँकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन कट्टरपंथियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लगातार नफरत और धमकियों का सिलसिला जारी है।
नाजिया पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया। यह शिकायत एक वकील, नूर महविश, द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप था कि नाजिया सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक तनाव भड़काने का प्रयास कर रही हैं। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 299, 353, और 362 के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मामला नाजिया द्वारा 3 अगस्त 2024 को दिए गए एक इंटरव्यू के बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने कुछ बयान दिए थे जो विवाद का कारण बने।
हिजाब पहनने की जिद
— Nazia Elahi Khan (Modi Ka Parivar) (@NaziaElahiKhan1) August 3, 2024
मदरसा माई सिर्फ इस्लामिक शिक्षा लेनी की जिद
शरीयत कानून पर चलने की जिद
संविधान ना माने की जिद
सड़क पर नमाज पढ़ने की जिद
अब नाम छुपाने की जिद
वाह मुस्लिम पुरुषो वाह! @AIMPLB_Official pic.twitter.com/JUp19wml88
अपने इंटरव्यू में नाजिया ने सवाल उठाया था कि आखिर मुस्लिम व्यापारी हिंदू नाम से अपनी दुकानें क्यों चला रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि एक मुस्लिम व्यापारी जिसने महादेव के नाम पर ढाबा खोला था, वह हिंदुओं को काफिर मानता है। जब पत्रकार ने उनसे कहा कि लोगों को अपनी दुकान का नाम चुनने की स्वतंत्रता है, तो नाजिया ने जवाब दिया कि फिर हिंदुओं को भी अपनी मर्जी का नाम चुनने का अधिकार होना चाहिए। इस बयान के बाद इस्लामी कट्टरपंथियों ने इसे ईशनिंदा मान लिया, हालांकि नाजिया ने अपने बयान में कहीं भी पैगंबर मोहम्मद का नाम नहीं लिया था।
The entire country including West Bengal are in protest for the justice of doctor daughter #RGKarProtest but the Muslim of West Bengal is planning for my ‘sar tan se Juda’ firstly these müslimin had tried hard to put me in jail and now they are ready for sar tan se juda… pic.twitter.com/m181z6NeUI
— Nazia Elahi Khan (Modi Ka Parivar) (@NaziaElahiKhan1) September 4, 2024
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों ने नाजिया के खिलाफ अभियान चलाया और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। नाजिया का कहना था कि अगर हिंदू कोई मुस्लिम नाम से अपनी दुकान खोलते, तो उन्हें भी वैसी ही प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता, जैसा उन्होंने अनुभव किया। नाजिया के अनुसार, यह विवाद महज धार्मिक असहिष्णुता का नतीजा था। उन्होंने तर्क दिया था कि नाम बदलकर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है, और कहा कि केवल वही लोग ऐसा करते हैं, जिनके मन में कुछ छिपा होता है। इस दौरान, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस फैसले का समर्थन किया, जिसमें व्यापार मालिकों को अपनी दुकान पर असली नाम लिखने का निर्देश दिया गया था।
नाजिया के इस इंटरव्यू के बाद कट्टरपंथियों ने उन्हें ऑनलाइन गालियाँ देना शुरू कर दिया। यहाँ तक कि क्रिकेटर शिवम दुबे की पत्नी, अंजुम खान, ने भी नाजिया के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। अंजुम ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था, "अगर पैगंबर की शान में गुस्ताखी होने पर आपको गुस्सा नहीं आता तो आपका ईमान मर चुका है। अगर आपका ईमान जिंदा है तो नाजिया की गिरफ्तारी की माँग करिए।"
नाजिया के खिलाफ यह अभियान केवल अंजुम खान तक सीमित नहीं रहा। अन्य मुस्लिम समूहों और कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी नाजिया के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की। नतीजतन, नाजिया को लगातार धमकियाँ मिलने लगीं। मुस्लिम यूट्यूबर एजाज असलम ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें धमकी दी।
4 सितंबर को नाजिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बताया कि जहां देश भर में एक डॉक्टर के लिए इंसाफ की माँग हो रही है, वहीं बंगाल के मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग उनके खिलाफ 'सर तन से जुदा' के नारे लगा रहे हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में कोलकाता पुलिस और टीएमसी नेताओं को भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
नाजिया इलाही खान का मामला इस्लामी कट्टरपंथियों और ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग पर एक बार फिर बहस को जन्म देता है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के मामलों का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए किया जाता है। हालाँकि, यह देखना बाकी है कि नाजिया के खिलाफ चल रहे इस अभियान का अंत कहाँ होगा। फिलहाल, उनकी गिरफ्तारी और बेल के बावजूद, उन्हें कट्टरपंथियों से धमकियाँ मिल रही हैं, जो यह दिखाता है कि धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाना आज भी कितना मुश्किल हो सकता है।