नई दिल्ली: आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक अहम फैसले ने हरियाणा के क्षत्रिय समाज में हलचल मचा दी है। पार्टी ने अपने कर्मठ नेता और क्षत्रिय समाज के प्रमुख चेहरा शशि रंजन परमार का टिकट काटकर हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आईं श्रुति चौधरी को टिकट दे दिया है।
इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है, क्योंकि श्रुति चौधरी पहले कांग्रेस की नेता थीं और कुछ ही दिन पहले उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी। श्रुति चौधरी की मां, किरण चौधरी, जिन्हें पहले ही बीजेपी ने राज्यसभा भेजा है, राजनीतिक पटल पर प्रभावशाली रही हैं। श्रुति को टिकट मिलने से परिवारवाद और दलबदल जैसे मुद्दों पर सवाल उठने लगे हैं।
बीजेपी ने क्षत्रिय समाज के सबसे कर्मठ नेता शशि रंजन परमार की टिकट काटकर चंद दिन पहले कांग्रेस से बीजेपी में आईं श्रुति चौधरी को टिकट दे दी...
— Mahender Singh (@MahenderTweets) September 5, 2024
जबकि श्रुति की मां किरण चौधरी को बीजेपी पहले ही राज्यसभा में भेज चुकी है।
दलबदलुओं और परिवारवादियों पर मेहरबान बीजेपी ने क्षत्रिय समाज… pic.twitter.com/0tsaPsfBAe
क्षत्रिय समाज के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि शशि रंजन परमार को हटाकर एक नई नेता को प्राथमिकता देना समाज के सम्मान और उनके योगदान का अपमान है। पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है, क्योंकि परमार जैसे नेताओं ने पार्टी की जड़ों को मजबूत किया है और उन्हें नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
क्षत्रिय समाज के कुछ नेताओं ने बीजेपी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। एक नेता ने कहा, “बीजेपी, जो हमेशा से परिवारवाद का विरोध करती आई है, अब खुद उसी राह पर चल पड़ी है। शशि रंजन परमार जैसे जमीनी नेता की उपेक्षा करना पार्टी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद बीजेपी के लिए एक राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है। यह देखना बाकी है कि बीजेपी इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी या नहीं।