नई दिल्ली, 1 सितम्बर 2024: सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर देश में महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों के साथ हो रहे अत्याचारों पर कड़ा विरोध जताया है। अपने पोस्ट में उन्होंने यह आरोप लगाया कि भारत में मौजूद अन्यायपूर्ण प्रथाओं और तालिबानी संस्कृति के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है।
प्रेम कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा, "महिलाओं के साथ भारत में हो रहे जुल्म को तालिबानी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि सच ये है कि तालीबानी संस्कृति कूट-कूट कर भारत में भरी हुई है।" उन्होंने इस संदर्भ में महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और गरीबों पर होने वाले अत्याचारों का उल्लेख किया और कहा कि ये अत्याचार समाज के विभिन्न तबकों के खिलाफ होते हैं, जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है।
महिलाओं के साथ भारत में जुल्म तालिबानी नहीं है?
— Prem Kumar (@AskThePremKumar) September 1, 2024
सच ये है कि तालीबानी संस्कृति कूट-कूट कर भारत में भरी हुई है।
कभी महिलाओं पर, कभी दलितों पर,
कभी आदिवासियों पर, कभी गरीबों पर
अक्सर हम देखकर अनदेखा करते रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलों का संज्ञान नहीं लेता क्योंकि पीड़ित… pic.twitter.com/MN4McgbF4C
प्रेम कुमार का कहना है कि समाज में इन अत्याचारों के प्रति उदासीनता एक बड़ी समस्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था, सुप्रीम कोर्ट, भी ऐसे मामलों का संज्ञान नहीं लेती क्योंकि पीड़ित वर्ग अक्सर संभ्रांत घरों से नहीं आते।
उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोग उनकी बातों से सहमति जताते हुए कहते हैं कि यह एक कठोर सत्य है, जिसे समाज को स्वीकारना चाहिए, जबकि कुछ ने इसे अतिशयोक्तिपूर्ण बताया है।
प्रेम कुमार का यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब देश में महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर बहस तेज़ हो रही है। उनकी पोस्ट ने इस बहस को और भी हवा दी है और सरकार और न्यायिक प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास पर सवाल खड़े किए हैं।
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