24 नवंबर, 1971 का दिन, अमेरिका के हवाई जहाजों के इतिहास में एक ऐसा दिन था जिसे आज भी कोई नहीं भूल पाया है। नॉर्थ वेस्ट ओरिएंट एयरलाइंस की फ्लाइट ने पोर्टलैंड से सिएटल की उड़ान भरी। यह एक छोटी सी आधे घंटे की उड़ान थी, जिसमें 36 पैसेंजर और 6 क्रू मेंबर्स सवार थे। उस समय किसी को अंदाजा नहीं था कि उनके बीच एक हाईजैकर भी मौजूद है।
डीबी कूपर: एक अनजान पहेली
हाईजैकर, जिसने खुद को "डैन कूपर" बताया, एक साधारण बिजनेसमैन की तरह दिखता था। उसने काले पैंट्स, सफेद शर्ट और सूट पहना हुआ था। उसने एयर होस्टेस फ्लोरेंस शफन को एक नोट दिया, जिसे शफन ने नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जब कूपर ने उसे कहा कि उसके पास बम है, तब शफन ने नोट पढ़ा। उस नोट में साफ लिखा था, "मिस, मेरे पास एक बम है।" शफन को अब एहसास हुआ कि स्थिति कितनी गंभीर थी। कूपर ने अपने सूटकेस में बम दिखाया और एयर होस्टेस से अपनी मांगें रखीं: $2 लाख नकद, चार पैराशूट, और प्लेन को रिफ्यूल करने की व्यवस्था।
फ्लाइट की डिले और अफरा-तफरी
किसी को यह खबर नहीं दी गई कि प्लेन हाईजैक हो चुका है। पायलट्स को यह निर्देश दिया गया कि प्लेन को सिएटल के आसमान में चक्कर लगाते रहें ताकि पैसों का इंतजाम हो सके। फ्लाइट, जो केवल आधे घंटे की थी, तीन घंटे तक उड़ती रही। अंततः शाम 5:46 पर प्लेन सिएटल में लैंड हुआ। कूपर को उसकी डिमांड्स के अनुसार $2 लाख और पैराशूट दिए गए। कूपर ने सभी यात्रियों और क्रू को छोड़ दिया, सिवाय एक एयर होस्टेस टीना मकल के।
कूपर का हैरतअंगेज प्लान और छलांग
इसके बाद, कूपर ने प्लेन को दोबारा उड़ान भरने का आदेश दिया। उसने पायलट से कहा कि प्लेन को 10,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ाया जाए और वह मेक्सिको सिटी की ओर जाना चाहता है। हवा में कुछ ही देर बाद, कॉकपिट में एक वार्निंग लाइट फ्लैश करती है, जो बताती है कि प्लेन का पिछले दरवाजे की सीढ़ी खुल चुकी है। कूपर ने पैसे और पैराशूट के साथ प्लेन से छलांग लगा दी। पायलट और एयर होस्टेस को इसका पता नहीं चला क्योंकि वे कॉकपिट में बंद थे।
एक मिस्ट्री जो कभी हल नहीं हुई
कूपर के कूदने के बाद, पुलिस और एफबीआई ने पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाया। प्लेन में कूपर की सिर्फ एक टाई और कुछ अन्य सामान मिला। 45 सालों तक इस हाईजैक की जांच चलती रही, लेकिन कूपर का कोई सुराग नहीं मिला। न ही उसके पास मौजूद पैसे कभी वापस पाए गए।
क्या कूपर जिंदा बचा?
एफबीआई ने यह मान लिया था कि इतनी ऊंचाई और खराब मौसम की वजह से कूपर शायद जिंदा नहीं बच पाया होगा। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि कूपर ने छलांग मारने के बाद भी जिंदा रहने का तरीका ढूंढ निकाला होगा, क्योंकि बाद में कई और हाईजैकिंग केस सामने आए, जिनमें हाईजैकर्स ने प्लेन से छलांग लगाई और बच भी गए।
डीबी कूपर की कहानी: आज भी एक रहस्य
डीबी कूपर कौन था, उसने कैसे यह सब योजना बनाई, और क्या वह जिंदा बचा—इन सवालों का जवाब आज तक नहीं मिला है। एफबीआई के लिए यह आज भी सबसे बड़ी अनसुलझी मिस्ट्री बनी हुई है।
यह हाईजैक दुनिया का एकमात्र ऐसा मामला है जो कभी सुलझ नहीं पाया।