अमेठी में एक महिला पत्रकार को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं, जो न्याय की उम्मीद में एसडीएम मुसाफिरखाना के दफ्तर गई थी। पत्रकार ने अपने मकान पर दबंगों द्वारा किए गए कब्जे की शिकायत एसडीएम साहिबा से की थी।
अमेठी में एक महिला पत्रकार SDM मुसाफिरखाना के दफ्तर में अपने मकान पर दबंग द्वारा किए गए कब्जे की शिकायत लेकर गई थी।
— UP Congress (@INCUttarPradesh) September 4, 2024
उसने जब SDM साहिबा से उनके द्वारा दिए गए मौखिक आदेश पर मकान पर हुए कब्जे की बात कही तो साहिबा भड़क उठीं और बोलीं, "मैं आपका काम नही कर पाऊंगी, मेरा मूड खराब हो… pic.twitter.com/thxYOtzwyE
शिकायतकर्ता के अनुसार, जब उसने एसडीएम साहिबा से मौखिक आदेश के तहत मकान पर हुए कब्जे की बात की, तो साहिबा भड़क उठीं। उन्होंने कहा, "मैं आपका काम नहीं कर पाऊंगी, मेरा मूड खराब हो गया" और पत्रकार को दफ्तर से बाहर निकाल दिया।
इस घटना के बाद, महिला पत्रकार अब अपनी बूढ़ी मां के साथ न्याय की खोज में दर-दर की ठोकरें खा रही है। योगीराज में न्याय की उम्मीद में एक पत्रकार को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
यह घटना एक सवाल खड़ा करती है: जब एक पत्रकार, जो जनता की समस्याओं को उजागर करती है, को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है, तो आम आदमी को कितनी उम्मीद हो सकती है कि उसे न्याय मिलेगा?