नई दिल्ली: समाज में महिलाओं के प्रति बनी रूढ़िवादी धारणाओं और उनके शरीर को मात्र एक वस्तु के रूप में देखे जाने के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए समाजसेविका और एडवोकेट दीदी निर्देश सिंह ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, "महिला तुम्हारे लिए सिर्फ एक शरीर है, कमजोर शरीर। इसलिए तुम उसके शरीर के उभरे हुए अंग देखते हो और उन्हीं के आधार पर उसके चरित्र का निर्धारण करते हो। तुम्हें उसके विचारों और उसके सच्चे व्यक्तित्व से कोई मतलब नहीं होता।"
उन्होंने आगे कहा कि यह सोच समाज में महिलाओं के अस्तित्व को कमतर करने का एक प्रयास है। "तुम उसके अंगों के आधार पर उसे नीचा दिखाने और कमजोर करने की कोशिश करते हो, लेकिन जिन महिलाओं ने अपने विचारों और कार्यों से समाज के लिए नए आयाम स्थापित किए हैं, उन्हें तुम्हारी इस सोच से कोई फर्क नहीं पड़ता।"
रूढ़िवादी सोच पर तीखा प्रहार
दीदी निर्देश सिंह ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के विचार और उनके सच्चे चरित्र को समझना समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि कई महिलाएं समाज में अपनी सोच और दृष्टिकोण से नए मानक स्थापित कर रही हैं और इस रूढ़िवादी सोच के बावजूद वे आगे बढ़ रही हैं।
महिला तुम्हारे लिए सिर्फ एक शरीर है,कमजोर शरीर,
— Nirdesh Singh (@didinirdeshsing) September 7, 2024
इसलिए तुम उसके शरीर के उभरे हुए अंग देखते हो,उसके अंगों से ही उसका चरित्र परिभाषित करते हो,तुम्हे उसके विचारों से उसके सच्चे चरित्र से कोई मतलब नही होता।
तुम उसके अंगों के आधार पर उसको नीचा दिखाकर उसे कमजोर करने की कोशिश करते… pic.twitter.com/cTru6c8arx
उन्होंने कहा, "अब समाज की यह रूढ़िवादी सोच धीरे-धीरे बदल रही है, लेकिन महिलाओं को अपने सच्चे चरित्र के निर्माण और उसकी सही पहचान के लिए संघर्ष करना होगा। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक समाज में महिलाओं की पहचान सिर्फ उनके शरीर के आधार पर नहीं बल्कि उनके विचारों और योगदान के आधार पर नहीं होती।"
सच्ची पहचान के लिए संघर्ष जरूरी
दीदी सिंह ने स्पष्ट किया कि यह समाज में बदलाव लाने का समय है। महिलाओं को अपने अधिकारों और व्यक्तित्व के प्रति जागरूक होना होगा, और उन्हें यह समझना होगा कि उनकी पहचान उनके शरीर से नहीं बल्कि उनके विचारों, कर्मों और समाज में उनके योगदान से होती है।
उनके इस बयान ने समाज के उन वर्गों में गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है जो अब तक महिलाओं को उनके शरीर के आधार पर आंकते आए हैं। दीदी सिंह के इस विचार से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं की सही पहचान और उनके सशक्तिकरण की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
समाज में बदलाव की जरूरत
दीदी निर्देश सिंह का यह बयान उस व्यापक संघर्ष का हिस्सा है जिसमें महिलाओं को उनकी असली पहचान दिलाने और समाज में उनके सशक्तिकरण के लिए बदलाव की मांग की जा रही है। यह स्पष्ट है कि समाज की सोच में बदलाव जरूरी है और महिलाओं को उनके शरीर की बजाय उनके व्यक्तित्व और विचारों के आधार पर देखा जाना चाहिए।
यह संदेश एक जागरूकता की पुकार है, ताकि महिलाओं के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदले और उन्हें उनके वास्तविक योगदान और सशक्त विचारों के लिए पहचाना जाए।