ब्रेकिंग न्यूज: SC/ST कोटे में कोटा लागू नहीं करेगी केंद्र सरकार, दलित आदिवासी समाज की बड़ी जीत

भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के सांसद, जो एसटी/एससी समुदाय से जुड़े हैं, ने शुक्रवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बैठक में सांसदों ने एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी के संदर्भ में एक ज्ञापन प्रस्तुत किया और अपील की कि इस फैसले को समाज पर लागू न किया जाए। सूत्रों के अनुसार, सरकार एससी/एसटी कोटे में क्रीमी लेयर लागू करने के पक्ष में नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा सांसद प्रोफेसर (डॉ) सिकंदर कुमार ने बताया कि पीएम मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस मामले पर सरकार संवेदनशीलता दिखाएगी। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एससी और एसटी आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया था। लगभग 100 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल पीएम मोदी से मिला और अपनी चिंताओं को साझा किया। पीएम ने हमारी बात सुनी और हमें विश्वास दिलाया कि सरकार सांसदों के पक्ष में काम करेगी।”

भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी माना कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जाना चाहिए। कुलस्ते ने बताया, “हमने पीएम से अनुरोध किया कि एससी/एसटी से क्रीमी लेयर की पहचान और आरक्षण के लाभ से उन्हें बाहर रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जाना चाहिए। पीएम ने भी इस पर सहमति जताई।”

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर असहमति जताते हुए कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेगी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि राज्यों के पास एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित प्राधिकरण को यह तय करते समय मात्रात्मक प्रतिनिधित्व के बजाय प्रभावी प्रतिनिधित्व के आधार पर पर्याप्तता की गणना करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने 6:1 के बहुमत से निर्णय लिया कि एससी और एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। इस मामले में छह अलग-अलग राय प्रस्तुत की गईं। यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने पहले के ईवी चिन्नैया मामले के निर्णय को खारिज किया, जिसमें उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी गई थी।

सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा, और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने सुझाव दिया कि राज्य क्रीमी लेयर की पहचान के लिए एक नीति विकसित करें ताकि उन्हें सकारात्मक कार्रवाई के लाभ से बाहर रखा जा सके। वहीं, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने उप-वर्गीकरण की अनुमति देने के बहुमत के फैसले से असहमति जताई। 

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