इन दिनों एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि बाबा राम रहीम को चुनाव के समय ही पेरोल क्यों दी जाती है। क्या बाबा का चुनावों से कोई गहरा संबंध है? आइए इस संदर्भ में जानें बाबा राम रहीम की पेरोल का चुनाव कनेक्शन।
राम रहीम की पेरोल का इलेक्शन कनेक्शन –
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) August 13, 2024
👉फरवरी 2022 में 21 दिन पैरोल– पंजाब विधानसभा चुनाव
👉जून 2022 में 30 दिन पैरोल– हरियाणा नगर निकाय चुनाव
👉अक्तूबर 2022 में 40 दिन पैरोल– आदमपुर सीट का चुनाव
👉जुलाई 2023 में 30 दिन पैरोल– हरियाणा का पंचायत चुनाव
👉नवंबर 2023 में 21 दिन… https://t.co/ofE4edQn20 pic.twitter.com/AVUhoX14Sv
हाल के वर्षों में, बाबा राम रहीम को चुनावों के समय पेरोल मिलने की घटनाएं लगातार सुर्खियों में रही हैं। इस प्रकार की घटनाओं का क्रम इस प्रकार है:
1. फरवरी 2022 में 21 दिन पेरोल: पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान बाबा को 21 दिन की पेरोल दी गई। इस पेरोल के दौरान बाबा ने अपने समर्थकों के बीच जाकर चुनावी प्रचार किया।
2. जून 2022 में 30 दिन पेरोल: हरियाणा नगर निकाय चुनाव के समय बाबा को 30 दिन की पेरोल दी गई। बाबा के समर्थक इस दौरान चुनावी रैलियों में उनके साथ थे।
3. अक्तूबर 2022 में 40 दिन पेरोल: आदमपुर सीट के उपचुनाव में भी बाबा को 40 दिन की पेरोल मिली। इस समय बाबा का प्रभावी प्रचार गतिविधियों में देखा गया।
4. जुलाई 2023 में 30 दिन पेरोल: हरियाणा के पंचायत चुनाव के दौरान भी बाबा को 30 दिन की पेरोल दी गई, जिससे उन्होंने स्थानीय राजनीति पर प्रभाव डाला।
5. नवंबर 2023 में 21 दिन पेरोल: राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान भी बाबा को 21 दिन की पेरोल मिली। यह पेरोल भी चुनावी गतिविधियों के दौरान महत्वपूर्ण रही।
6. जनवरी 2024 में 50 दिन पेरोल: लोकसभा चुनाव के समय बाबा को 50 दिन की पेरोल दी गई, जो कि काफी लंबी अवधि थी और चुनावी प्रचार में बाबा की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
7. अगस्त 2024 में 21 दिन पेरोल: हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान बाबा को 21 दिन की पेरोल दी गई, जिससे उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल बना।
सभी घटनाओं का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि बाबा राम रहीम का पेरोल समय चुनावों के साथ मेल खाता है। हालांकि, प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह पेरोल प्रक्रिया मानक नियमों के तहत होती है, लेकिन इसके चुनावी समय पर दी जाने की प्रकृति सवाल खड़े करती है।
बाबा राम रहीम की जेल की स्थिति को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। वह जेल में केवल विजिट पर जाते हैं, जबकि उनका असली ठिकाना बागपत (UP) का आश्रम होता है। इस स्थिति के चलते उनके पेरोल और चुनाव कनेक्शन को लेकर विरोध और सवाल उठना स्वाभाविक है।
इस पूरे मामले में जांच और पारदर्शिता की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पेरोल का उपयोग किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जा रहा है।