सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी द्वारा दिलीप मंडल के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका मंडल के 16 जुलाई 2022 के ट्वीट के संदर्भ में थी, जिसमें उन्होंने भारतीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमण के द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के भाषण पर टिप्पणी की थी।
कोलिजियम जजों की आलोचना करना कोर्ट का अपमान नहीं है।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 13, 2024
ये विषय मेरे मैटर में सुप्रीम कोर्ट और भारत के अटॉर्नी जनरल दोनों के द्वारा सैटल हो चुका है। मेरे ख़िलाफ़ इस संबंध में शुरू की गई तमाम क़ानूनी कार्रवाई हमेशा के लिए निरस्त हो चुकी है।
इसलिए दौड़ाइए हरामखोरी के इस सिस्टम को। pic.twitter.com/kIuky0mp53
मंडल के ट्वीट का अनुवाद कुछ इस प्रकार था: "वह चंद्रचूड़ से भी बेहतर उपदेश देते हैं। इन बेकार लोगों के पास सिर्फ बात करने के सिवा कुछ नहीं है। अपने ही कोर्ट, यानी सुप्रीम कोर्ट में 72 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। कई मामलों में याचिकाकर्ता भी नहीं रहे हैं। जज 2 साल दूर की तारीखें देते हैं। EWS मामले में, 3 साल से अधिक समय में कोई बेंच भी गठित नहीं हुई है। #जातिवादी_कॉलेजियम"
हालांकि इस बयान को अशिष्ट माना गया, सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत की प्रतिष्ठा को विवादास्पद बनाने या घटाने की क्षमता वाला नहीं माना। अदालत ने यह टिप्पणी की कि उसकी पीठ इतनी चौड़ी है कि वह ऐसी टिप्पणियों को नजरअंदाज कर सकती है।
इस प्रकार, अधिवक्ता सौरभ तिवारी की याचिका को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है।