नई दिल्ली: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने एक बार फिर से विवादास्पद बयान देकर राजनीति और धार्मिक समुदाय में हलचल मचा दी है। उन्होंने हाल ही में खुलासा किया कि गुजरात में बीजेपी सरकार ने 5 दिन पहले 25 हजार मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार, इस आदेश को एक बड़े आंदोलन के बाद ही रुकवाया जा सका।
स्वामी जी ने कहा कि यह आदेश एक अत्यंत चिंताजनक और धार्मिक भावना को आहत करने वाला था। उनका दावा है कि इस निर्णय से न केवल धार्मिक स्थानों का विनाश होता, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी नुकसान पहुंचता। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुजरात सरकार द्वारा जारी इस आदेश को धार्मिक असहमति और सांस्कृतिक दमन का प्रतीक बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 7, 2024
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज का एक और सनसनीखेज खुलासा,
5 दिन पहले बीजेपी सरकार ने गुजरात में 25 हजार मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया, जिस आदेश को बड़ी मुश्किल से आंदोलन कर रुकवाया,
जब मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब… pic.twitter.com/vmYM8ZBJM7
स्वामी जी ने बीजेपी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगाया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच 125 से ज्यादा मन्दिरों को तोड़वाया था। इस घटना को लेकर शंकराचार्य जी और संत समाज ने मोदी जी को मोहम्मद गजनवी और अहमद शाह अब्दाली के साथ तुलना की थी। यह तुलना एक ऐतिहासिक संदर्भ में की गई, जब गजनवी और अब्दाली ने भारत में कई मन्दिरों को तोड़ा था।
बीजेपी के प्रवक्ताओं ने इस आरोप को निराधार बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश का हिस्सा करार दिया। उनका कहना है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी के आरोप निराधार हैं और इस मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए उछाला जा रहा है।
हालांकि, शंकराचार्य जी के इस दावे ने राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से एक नई बहस को जन्म दिया है। गुजरात के धार्मिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने भी इस खुलासे पर चिंता जताई है और सरकार से स्पष्ट जवाब देने की मांग की है। इस बीच, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी का यह बयान भारतीय राजनीति में एक नई बहस का आरंभ कर चुका है, और यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे।