28 अगस्त 2024: जाने-माने लेखक और समाजशास्त्री प्रोफेसर दिलीप मंडल ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से योगेन्द्र यादव पर कड़ा हमला बोला है। अपनी टिप्पणी में, मंडल ने योगेन्द्र यादव पर "सेक्युलर जोंबी" बनने का आरोप लगाया और भारतीय इतिहास के एक संवेदनशील और जघन्य अपराध को लेकर उनके दृष्टिकोण पर सवाल उठाया।
अजमेर सेक्स स्कैंडल पर विवाद
मंडल की पोस्ट का संदर्भ अजमेर सेक्स स्कैंडल से जुड़ा हुआ है, जिसमें 32 साल बाद, 6 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। यह मामला भारतीय इतिहास के सबसे बड़े और घिनौने सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेल कांडों में से एक है, जिसमें 11 से 20 साल की उम्र की सौ से ज्यादा बच्चियों और युवतियों का शोषण हुआ। इस केस में अपराधियों की तस्वीरें अखबारों के पहले पन्ने पर छपने से योगेन्द्र यादव असहज महसूस कर रहे थे, जिसे लेकर प्रोफेसर मंडल ने अपनी नाराज़गी जाहिर की।
"सेक्युलर जोंबी" का आरोप योगेन्द्र यादव जी, आपने ये गंदा काम कर दिया। आप “सेक्युलर जोंबी” बन चुके हैं।
भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा और घिनौना अजमेर सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेल कांड, जिसमें 11 से 20 साल की सौ से ज्यादा बच्चियों और युवतियों की आपत्तिजनक फ़ोटो निकालकर लंबे समय तक शोषण किया, उस केस में 32 साल… pic.twitter.com/a6BhOE1zYN
मंडल ने अपनी पोस्ट में यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले को मीडिया में अधिक स्थान देने का विरोध किया, क्योंकि अपराधी मुसलमान थे। उनके अनुसार, यादव चाहते थे कि इस मामले को केवल अदालत की सुस्ती के रूप में अंदर के पन्नों पर रिपोर्ट किया जाए। मंडल ने यादव पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे हिंदू-मुसलमान के नाम पर समाज में विभाजन कर रहे हैं।
कांग्रेस पर आलोचना
प्रोफेसर मंडल ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी और विशेष रूप से राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह गांधी और पटेल की कांग्रेस नहीं है और राहुल गांधी को अपने सलाहकार बदलने चाहिए। मंडल ने चेतावनी दी कि एनजीओ और मार्क्सवादी विचारधारा के लोग कांग्रेस को एक "सेक्युलर जोंबी" समूह में बदल रहे हैं, जहां अपराध इसलिए कम समझा जाता है क्योंकि पीड़ित लड़कियाँ हिंदू और अपराधी मुसलमान हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
प्रोफेसर मंडल की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी है। उनके समर्थकों ने उन्हें साहसी और सत्य बोलने वाला कहा है, जबकि आलोचकों ने उनकी टिप्पणियों को अत्यधिक उत्तेजक और विभाजनकारी करार दिया है।
इस विवाद ने एक बार फिर से भारत में सांप्रदायिकता और राजनीतिक विचारधारा के टकराव को उजागर किया है, जो समाज के विभिन्न वर्गों में गहरी दरारें पैदा कर सकता है।
प्रोफेसर दिलीप मंडल की टिप्पणी ने भारतीय राजनीति और समाज में विचारधाराओं के टकराव पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें कांग्रेस की वर्तमान दिशा और सांप्रदायिकता पर गहन बहस की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।