नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख रामदास आठवले ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध करने की धमकी दी है। उनकी यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के संदर्भ में आई है, जिसमें एससी और एसटी समुदायों के भीतर उप-वर्गीकरण की बात की गई है।
अठावले ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम एससी और एसटी कोटा में क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेंगे। यह कदम समाज के कमजोर तबके को लाभ पहुँचाने के हमारे प्रयासों के खिलाफ है और इससे न्याय की भावना को चोट पहुँच सकती है।" उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि क्रीमी लेयर मानदंड का उपयोग अन्य आरक्षण श्रेणियों में किया जाता है, लेकिन एससी और एसटी के लिए यह लागू नहीं किया जाना चाहिए।
बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से अपनी असहमति जता दी है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले का भी विरोध में बयान आ गया है।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 5, 2024
पूरे देश को जातियों में बाँट दिया जजों ने।
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उनके अनुसार, क्रीमी लेयर मानदंड उन लोगों पर लागू होता है जिनकी आय या संपत्ति एक निश्चित सीमा से अधिक हो, जिससे वे आरक्षण के लाभ से बाहर हो जाते हैं। लेकिन, अठावले का कहना है कि एससी और एसटी समुदायों में आर्थिक और सामाजिक असमानता इतनी व्यापक है कि क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने से उनके अधिकारों का हनन हो सकता है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार किया और यह सुझाव दिया कि समाज के भीतर उप-वर्गीकरण किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आरक्षण का लाभ वास्तव में उन लोगों को मिले जिनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सबसे कमजोर है। यह फैसला एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन अठावले और उनके समर्थक इसे समाज में विभाजन और असंतोष का कारण मानते हैं।
बीजेपी और अठावले के विचार से इत्तेफाक रखने वाले कई नेताओं ने भी इस निर्णय की आलोचना की है और इसे असंविधानिक बताया है। उनका मानना है कि क्रीमी लेयर मानदंड को लागू करना उन लोगों के अधिकारों पर सवाल उठाता है जिनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
इस मुद्दे पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर आने वाले समय में क्या नया मोड़ आता है।