पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर के तौर पर यशवंत सिन्हा और डॉ. मनमोहन सिंह के नाम लिए हैं। इस बयान ने राजनीतिक और आर्थिक हलकों में खासा ध्यान खींचा है। राजन का यह चयन इस बात का संकेत है कि वे किस प्रकार से इन नेताओं की आर्थिक नीतियों और कार्यप्रणाली को मान्यता देते हैं।
रघुराम राजन का कहना है कि यशवंत सिन्हा और डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने-अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। यशवंत सिन्हा ने 1990 के दशक में वित्त मंत्री रहते हुए कई संरचनात्मक सुधारों की शुरुआत की, जिनमें जीडीपी वृद्धि और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम शामिल हैं। उनके कार्यकाल में आर्थिक उदारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जिन्होंने भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की।
डॉ. मनमोहन सिंह ने भी अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाए। 1991 में जब वे वित्त मंत्री बने, तो भारत की अर्थव्यवस्था संकट की स्थिति में थी। मनमोहन सिंह ने व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिनमें व्यापार और वित्तीय क्षेत्र में उदारीकरण शामिल था, जिसने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर एक मजबूत स्थान दिलाया।
रघुराम राजन ने इन दोनों नेताओं की आर्थिक नीतियों की सराहना की है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव रखने में सहायक रही हैं। हालांकि, वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजन के बयान पर अपनी असहमति व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह तुलना उचित नहीं है और प्रत्येक वित्त मंत्री का योगदान अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर आंका जाना चाहिए।
यह बयान भारतीय राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में एक नई चर्चा को जन्म देता है, जिसमें इतिहास और वर्तमान स्थिति के संदर्भ में आर्थिक नीतियों का मूल्यांकन किया जा रहा है।