पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC और ST वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान का निर्णय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि जब SC और ST के आरक्षण का आधार आर्थिक स्थिति नहीं है, तो क्रीमी लेयर का प्रावधान क्यों लाया जा रहा है।
तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत हैं। यह निर्णय भारतीय संविधान की मूल भावना और 1932 के पूना पैक्ट के खिलाफ है। आरक्षण का उद्देश्य समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना है, न कि उन्हें इस प्रणाली से बाहर करना।”
SC ST के आरक्षण का आधार जब आर्थिक है ही नहीं तो इसमें क्रीमी लेयर का प्रावधान क्यों लाया जा रहा है.?
— Priyanshu Kushwaha (@PriyanshuVoice) August 2, 2024
हम सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के पक्ष में नहीं है। यह फ़ैसला भारतीय संविधान की मूल भावना और 1932 पूना पैक्ट के ख़िलाफ़ है।
आज भी अखिलेश जी जब मंदिर जाते हैं तो उसे गंगाजल से… pic.twitter.com/rIos2Ng8k9
उन्होंने अपने बयान में एक उदाहरण देते हुए कहा, “अखिलेश जी जब मंदिर जाते हैं, तो वहां गंगाजल से पूजा स्थल को धोया जाता है। इसके बाद माँझी जी के मंदिर में भी ऐसा ही किया जाता है। यह हमारे समाज में जातिवादी सोच का प्रतीक है। जब तक ऐसी सोच नहीं बदलती, तब तक आरक्षण प्रणाली की सार्थकता पर सवाल उठते रहेंगे।”
तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह तुरंत एक अध्यादेश लाकर इस फैसले के खिलाफ कदम उठाए और आरक्षण से जुड़ी विसंगतियों को दूर करे। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि आरक्षण प्रणाली का सही तरीके से कार्यान्वयन हो सके, ताकि समाज के हर वर्ग को उचित अवसर मिल सके।”
तेजस्वी यादव की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब SC और ST के आरक्षण को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में असंतोष और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं, जो इस विवादित फैसले की न्यायिक समीक्षा की मांग कर रही हैं।