हरियाणा के वाल्मीकि समुदाय ने आज भीम आर्मी (आसपा) के नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद का पुतला फूंकते हुए उनके हालिया बयानों और सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण में वर्गीकरण फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया। वाल्मीकि समुदाय के लोगों का आरोप है कि चंद्रशेखर आजाद ने आरक्षण के वर्गीकरण के खिलाफ अपना विरोध प्रकट कर, हरियाणा में वाल्मीकि जाति के विकास की संभावना को नकारा है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चंद्रशेखर आजाद का यह विरोध समाज के हित में नहीं है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत आरक्षण में वर्गीकरण से वाल्मीकि समुदाय को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलेंगे, जो उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं। इस फैसले के खिलाफ चंद्रशेखर आजाद का रवैया समुदाय की प्रगति में बाधक हो सकता है, इसी वजह से उनका पुतला फूंका गया।
हरियाणा के वाल्मीकि मज़हबी लोगों ने भीम आर्मी (आसपा) नगीना सांसद चन्द्रशेखर आजाद का पुतला फूंका
— राकेश लोहट वाल्मीकिन (@RakeshKLohat) August 10, 2024
सुप्रीमकोर्ट के आरक्षण वर्गीकरण फैसले का विरोध किया था चन्द्रशेखर आजाद ने आरक्षण वर्गीकरण से हरियाणा में वाल्मीकि सहित 35 अन्य वंचित जातियों का विकास होगा ।@B_upasana999… pic.twitter.com/bHK6CuiOPi
चंद्रशेखर आजाद कहा था कि वह वाल्मीकि समुदाय के साथ हैं और उनका विरोध केवल एक षड्यंत्र का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह समुदाय को टूटने नहीं देना चाहते और किसी भी तरह की समाज में दरार डालने वाली राजनीति का विरोध करते हैं। आजाद का कहना है, "मैं नहीं चाहता कि हमारी एकता और विकास को किसी बाहरी ताकत द्वारा बाधित किया जाए। वाल्मीकि समुदाय किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने कभी शिक्षा और आगे बढ़ने के नहीं रोका है।
चंद्रशेखर आजाद ने यह भी जोड़ा कि किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को शिक्षा और विकास में बाधा नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। उनका मानना है कि समाज में एकता और समृद्धि के लिए सभी जातियों को मिलकर काम करना चाहिए और बाहरी ताकतों द्वारा भड़काने का प्रयास अस्वीकार्य है।
वाल्मीकि समुदाय और चंद्रशेखर आजाद के बीच इस विवाद ने सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को एक बार फिर से गरम कर दिया है। यह देखना होगा कि भविष्य में इस मुद्दे पर क्या नतीजे सामने आते हैं और किस तरह से इसे सुलझाया जाता है।