मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल ही में एक ज़ोरदार बयान दिया है जिसमें उन्होंने वक़्फ़ संपत्ति की सुरक्षा का संकल्प लिया है। ठाकरे ने साफ़ शब्दों में कहा, "किसी को वक़्फ़ संपत्ति छूने नहीं दूंगा, देखता हूं वक़्फ़ की संपत्ति कौन छीनता है!" यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर गया है।
ठाकरे ने यह बयान तब दिया जब हाल ही में वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। उनके इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वे वक़्फ़ बोर्ड के साथ मज़बूती से खड़े हैं और इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। ठाकरे ने आगे कहा, "वक़्फ़ की संपत्ति हो या कुछ और, किसी कीमत पर उसे कोई छू नहीं पाएगा।"
उद्धव ठाकरे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विवाद बढ़ता जा रहा है। वक़्फ़ संपत्तियों पर अवैध कब्जों और उनके उपयोग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ठाकरे के इस बयान से उनके समर्थकों में उत्साह देखा जा रहा है, वहीं विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
वक़्फ़ बोर्ड के समर्थन में उतरे उद्धव ठाकरे!
— Panchjanya (@epanchjanya) August 16, 2024
"किसी को वक़्फ़ संपत्ति छूने नहीं दूंगा, देखता हूं वक़्फ़ की संपत्ति कौन छीनता है!"
"वक़्फ़ की संपत्ति हो या कुछ और किसी कीमत पर उसे कोई छू नहीं पाएगा।"
"केदारनाथ से 200 किलो सोना चोरी हुआ है।"
उद्धव ठाकरे ने केदारनाथ पर फर्जी आरोप… pic.twitter.com/ABvgqsSEL8
इसके अलावा, ठाकरे ने एक और आरोप लगाते हुए कहा कि "केदारनाथ से 200 किलो सोना चोरी हुआ है।" हालांकि, केदारनाथ बोर्ड ने इस आरोप को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा है कि अगर किसी को इस बात का सबूत है, तो वह कोर्ट में जा सकता है। केदारनाथ बोर्ड के इस बयान के बाद ठाकरे के आरोपों पर और भी सवाल खड़े हो गए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर चल रहे विवाद में उद्धव ठाकरे का यह बयान और भी ज्वलंत हो गया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।
वक़्फ़ बोर्ड और उसकी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर ठाकरे के इस स्पष्ट और दृढ़ रुख ने उनके राजनीतिक प्रभाव को और भी मज़बूत किया है। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया होती है और यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।