27 वर्षीय सादिओ माने, जो फुटबॉल की दुनिया में एक मशहूर नाम हैं, की कमाई भारतीय मुद्रा में गिनने पर प्रति सप्ताह 2 करोड़ 40 लाख रुपये है, यानी प्रति माह लगभग 10 करोड़ रुपये। इतनी विशाल कमाई के बावजूद, माने अपनी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते हैं।
हाल ही में माने को कई बार टूटे हुए फोन के साथ देखा गया, जिससे कई लोगों के मन में सवाल उठे। एक इंटरव्यू में जब उनसे इसके बारे में पूछा गया, तो माने ने कहा, "मैं इसे ठीक करवा लूंगा।" जब उनसे पूछा गया कि वे नया फोन क्यों नहीं खरीद लेते, तो माने ने जवाब दिया, "मैं ऐसे हजार मोबाइल खरीद सकता हूँ, 10 फरारी, 2 जेट प्लेन, डायमंड घड़ियां, बंगले और न जाने क्या-क्या खरीद सकता हूँ। लेकिन मुझे ये सब क्यों चाहिए?"
माने ने अपने जीवन की कठिनाइयों को याद करते हुए कहा, "मैंने गरीबी देखी है। पैसे की तंगी की वजह से मैं पढ़ नहीं पाया, इसलिए मैंने स्कूल्स बनवाए हैं ताकि लोग पढ़ पाएं। मेरे पास जूते नहीं थे, मैं बिना जूतों के खेलता था, अच्छे कपड़े नहीं थे, खाने को नहीं था। मैं भूखे पेट प्रैक्टिस करने को मजबूर होता था। मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं स्टेडियम जा सकूं, इसलिए मैंने स्टेडियम बनवाए ताकि कोई भी गरीब बच्चा बिना पैसे के भी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर सके।"
सादिओ माने का जन्म पश्चिम अफ्रीका के सेनेगल में हुआ था, और उन्होंने अपने देश के लोगों के लिए काफी कुछ किया है। उन्होंने गरीब बच्चों के लिए कई स्कूल बनवाए, खेल के लिए स्टेडियम बनवाए, और उन्हें खेल सामग्री, जूते, कपड़े और पौष्टिक खाना उपलब्ध करवाया। माने का उद्देश्य है कि कोई भी गरीब बच्चा पैसे की कमी के कारण खेलना बंद न करे।
माने के इस दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल एक उत्कृष्ट खिलाड़ी, बल्कि एक सच्चा मानवतावादी भी बना दिया है। उनकी यह सोच दुनिया को एक महत्वपूर्ण संदेश देती है—दिखावे और ऐंठ में जीने के बजाय हमें अपने संसाधनों का उपयोग उन लोगों की मदद के लिए करना चाहिए, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
सादिओ माने का जीवन हमें यह सिखाता है कि सादगी और दूसरों की भलाई के लिए काम करना ही सच्ची सफलता है।