अयोध्या: अयोध्या में 50 सालों से सेना के प्रशिक्षण और फायरिंग रेंज के लिए आरक्षित रखी गई 13,351 एकड़ भूमि अब व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए मुक्त कर दी गई है। लखनऊ सरकार द्वारा इस भूमि को डिनोटिफाईड किए जाने के बाद, यह भूमि अब प्रमुख व्यवसायी गौतम अडाणी के समूह, बाबा रामदेव की पतंजलि और श्री श्री रविशंकर के संस्थान को हस्तांतरित कर दी गई है।
माजाजमतरा गांव में स्थित यह भूमि, जो राम मंदिर से महज 6 किलोमीटर दूर है, पहले सैन्य उपयोग के लिए आरक्षित थी। यहां पर सेना के जवानों को विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग और फायरिंग प्रैक्टिस की सुविधा प्राप्त थी। लेकिन अब इस क्षेत्र को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए खोल दिया गया है।
यह भयंकर लूट है।
— Dr.Vilas Kharat (@vilas1818) August 6, 2024
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सरकारी आदेश के बाद, अडाणी समूह को इस भूमि पर निर्माण की अनुमति दी गई है, जिससे इस क्षेत्र का व्यावसायिक महत्व और भी बढ़ जाएगा। अडाणी समूह ने यहां विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रोजेक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की योजना बनाई है। इस भूमि के मूल्य में भारी वृद्धि की संभावना है, विशेष रूप से राम मंदिर के नजदीक होने के कारण।
इसके अतिरिक्त, बाबा रामदेव की पतंजलि और श्री श्री रविशंकर के संस्थान को भी इस भूमि के कुछ हिस्से का आवंटन किया गया है। यह कदम धार्मिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में संभावित विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हो सकता है। पतंजलि और रविशंकर के संस्थान यहां अपनी गतिविधियों और प्रोजेक्ट्स को स्थापित कर सकते हैं, जो स्थानीय विकास में योगदान दे सकते हैं।
इस कदम की घोषणा के बाद, स्थानीय जनता और विभिन्न संगठनों द्वारा प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम अयोध्या में व्यावसायिक गतिविधियों के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, जबकि अन्य इसके संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।
यह भूमि परिवर्तन अयोध्या की भूमि उपयोग योजना में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामुदायिक विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।